- आश्विन मास के कृष्णपक्ष की नवमी तिथि मातृ नवमी होता है।
- इस बार 19 सितंबर 2022 को है मातृ नवमी।
- इस दिन दिवगंत सुहागिन महिलाओं का श्राद्ध कर्म किया जाता है।
Matra Navmi Shradh In Pitru Paksha 2022: हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, पितृपक्ष का विशेष महत्व है। इस दौरान पितरों का तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान आदि करने की परंपरा है। मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान पितरों के लिए श्राद्ध करने से उन्हें मुक्ति मिलती है। साथ ही उनका आशीर्वाद सदैव अपने परिजनों पर बना रहता है। वैसे तो पूरे पितृपक्ष में श्राद्ध पूजन किया जाता है, लेकिन इसकी नवमी तिथि का अलग ही महत्व है। ब्रह्म पुरांण की एक कथा के अनुसार, यही वह समय है, जब पितृ धरती पर वास करते हैं और अपने परिजनों के सुखमय जीवन की कामना करते हैं। शास्त्रों के अनुसार नवमी तिथि के दिन दिवगंत महिलाओं का श्राद्ध कर्म किया जाता है, इसलिए इस तिथि को मातृ नवमी के नाम से भी जाना जाता है।
मान्यता है कि इस दिन दिवगंत महिलाओं का श्राद्ध कर्म करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। इस दिन परिवार के सदस्य अपनी माता और परिवार की ऐसी महिलाओं का श्राद्ध करते हैं, जिनकी मृत्यु एक सुहागिन के रूप में होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन व्रत रखने से महिलाओं को सदा सौभाग्यवती रहने का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ऐसे में इस लेख के माध्यम से हम आपको मातृ नवमी की तिथि, शुभ मुहूर्त, तर्पण विधि महत्व और पूजन विधि से लेकर संपूर्ण जनकारी बताएंगे।
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Matra Navami Importance,मातृ नवमी के धार्मिक महत्व
पितृपक्ष में पड़ने वाला नवमी तिथि जिसे मातृ नवमी श्राद्ध के रूप में जानते हैं। दरअसल, इसका संबंध दिवंगत महिला परिजनों के श्राद्ध से है। जी हां, परिवार की ऐसी महिलाएं जिनकी मृत्यु सुहागन के रूप में हुई थी, उनके लिए यह श्राद्ध विशेष महत्व रखता है। ये महिलाएं आपके घर की दादी, मां, बेटी, बहन आदि हो सकती हैं जो दिवंगत हो चुकी हैं। माना जाता है की मातृ नवमी के दिन विधि-विधान से इनके लिए श्राद्ध कर्म काण्ड हो तो ये घर के सदस्यों से बेहद प्रसन्न होती हैं। साथ ही अपना आशीर्वाद उन पर बनाए रखती हैं। ऐसे में आपका घर खुशहाल रहेगा। लंबे समय से चली आ रही परेशानियों से भी छुटकारा मिल सकता है।
Matra Navami 2022 Date, Shubh Muhurat, Tarpan Timg
मातृ नवमी 2022 तिथि, शुभ मुहूर्त, तर्पण समय
हिंदू कैलेंडर के मुताबिक, आश्विन मास के कृष्णपक्ष की नवमी तिथि ही मातृ नवमी श्राद्ध के नाम से प्रसिद्ध है। इस दिन परिवार के सदस्य अपनी माता और परिवार की ऐसी महिलाओं का श्राद्ध करते हैं, जिनकी मृत्यु एक सुहागिन के रूप में होती है।
- मातृ नवमी श्राद्ध तिथि प्रारंभ- 18 सितंबर, संध्या 04:32 बजे से
- मातृ नवमी श्राद्ध तिथि समाप्ति- 19 सितंबर, संध्या 07:01 बजे
- मातृ नवमी श्राद्ध का कुतुप मुहूर्त- 19 सितंबर, सुबह 11:50 से दोपहर 12:39 बजे तक
कोशिश करें कि मातृ नवमी श्राद्ध कर्म 19 सितंबर, दिन सोमवार को सुबह 11:50 से दोपहर 12:39 बजे के बीच ही करें।
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मातृ नवमी श्राद्ध पूजन विधि
मातृ नवमी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि कर निवृत्त हो जाएं। इसके बाद साफ वस्त्र धारण कर पितरों के श्राद्ध कर्म के लिए तैयारी करें। विधि-विधान से पितरों के श्राद्ध पूजन के लिए सबसे पहले सफेद मेज या चौकी पर दिवंगत महिला की तस्वीर रखें। यदि उनकी तस्वीर न हो तो यहां एक सुपारी रख दें। फिर इस पर गंगाजल, तुलसी, फूल अर्पित करें। साथ ही इस स्थान पर तिल के दीपक और धूपबत्ती जलाएं। श्राद्ध पूजन के बाद अगर संभव हो तो गजेंद्र मोश्र, गरुड़ पुराण या फिर भागवत गीता के नौवें अध्याय का पाठ करें। इसके बाद श्राद्ध का भोजन दक्षिण दिशा में रखें और ब्राह्मणों को भोजन करा कर उन्हें सामर्थ्य अनुसार दान-दक्षिणा दें। ध्यान रहे! पितरों को इस दिन तांबे के लोटे से जल और काले तिल के साथ तर्पण करना बिल्कुल न भूलें।