- शिव और नाग की पूजा से जुड़ा है मौना पंचमी का दिन
- मौन रहकर खुद को साधने के महत्व से जुड़ा है दिन
- जानिए मौना पंचमी व्रत की अहमियत और इससे जुड़ी मान्यताएं
नई दिल्ली: मौना पंचमी को श्रावण (जुलाई - अगस्त) के महीने में कृष्ण पक्ष (चंद्रमा के उतरने का चरण) के दौरान पांचवें दिन मनाया जाता है। सावन मास में आने वाले प्रमुख व्रत में मौना पंचमी को भी रखा जाता है। सुहागन महिलाएं इस व्रत को पूरी श्रद्धा से करती हैं।
Mauna panchami 2020 Kab hai,
मौना पंचमी 2020 की तारीख 10 जुलाई है। यह अनुष्ठान कुछ क्षेत्रों में नाग देवता की पूजा से जुड़ा है। देवघर शिव मंदिर - बाबा बैद्यनाथ धाम में इस दिन का बहुत महत्व है। यह प्रसिद्ध श्रावणी मेले के दौरान मनाया जाता है।
Mauna panchami Rituals, Niyam:
खिर और घोरजोर को सांप देवताओं को अर्पित किया जाता है। सर्प देवताओं या नागाओं को सूखी सब्जियां और फल जैसे आम और कटहल भी दिए जाते हैं।
कुछ लोग नीम की पत्तियों के साथ-साथ नींबू, आम के बीज और अनार भी चबाते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह शरीर से जहर निकालने में मदद करता है।
Mauna Panchami Vrat for Married women,
हिंदू धर्म में विवाहित महिलाओं के लिए यह दिन विशेष महत्वपूर्ण होता है। इस दिन से महिलाएं 15 दिन तक व्रत रखती हैं और हर दिन नाग देवता की पूजा करती हैं। मान्यता है कि मौना पंचमी के दिन विधि विधान से व्रत करते हुए पूजा करने से घर पर आने वाली बाधाएं दूर हो जाती हैं।
Mauna panchami Significance, Mahatva
मौना पंचमी पंचमी शब्द में मौना का अर्थ है 'मौन' से है। सनातन धर्म में मौन को बहुत महत्व दिया जाता है। इसे सत्य के साधक का अनिवार्य गुण माना जाता है। उत्तर भारत में पारंपरिक हिंदू कैलेंडर में सावन या श्रावण सबसे पवित्र महीनों में से एक है। महीने में कई तरह के दर्शन और अनुष्ठान होते हैं।
Mauna panchami sheshnag Puja
इस तिथि के देवता शेषनाग हैं इसलिए मौना पंचमी के दिन भोलेनाथ के साथ-साथ शेषनाग की पूजा भी की जाती है। मौना पंचमी के दिन शिव के दक्षिणामूर्ति स्वरूप की पूजा काफी महत्व रखती है। इस रूप में शिव को ज्ञान, ध्यान, योग और विद्या का गुरु माना गया है।
Mauna panchami: Maun rahne ke yayde
मौना पंचमी को शिव पूजा और मौन व्रत का मूल संदेश यही माना जाता है कि मौन मानसिक, वैचारिक और शारीरिक हिंसा पर लगाम लगाने का काम करता है। मौन व्रत न केवल व्यक्ति को मानसिक रूप से संयम और धैर्य रखना सिखाता है बल्कि वह शारीरिक ऊर्जा के नुकसान से भी बचने में सफलता दिलाता है। खुद को जानने की यात्रा पर निकले आध्यामत्मिक लोगों के लिए यह अनिवार्य गुण माना गया है।