नई दिल्ली. भगवान राम की कथाएं हमने सुनी है लेकिन हम बात करने जा रहे है भगवान राम के उस स्कूल की जहां से उन्होंने पढ़ाई की। यह जगह राजस्थान के इकलौते हिल स्टेशन माउंटआबू में है जहां से भगवान राम ने अपने दोनों भाइयों समेत शिक्षा ली थी। भगवान राम से जुड़े कई ऐतिहासिक प्रमाण यहां आज भी मौजूद है।
माउंट आबू के घने जंगलों में बसा महर्षि वशिष्ठ आश्रम भगवान राम अपने तीनों भाइयों के साथ इसी गुरुकुल में पढ़े थे। उन्होंने महर्षि वशिष्ठ से इसी आश्रम में शिक्षा-दिक्षा ली थी। इस आश्रम में जाने के लिए आपको 450 सीढ़ियों से नीचे उतरना होता है। इसकी ऊंचाई समुद्रतल से 1206 मीटर यानी 3970 फीट है और साढ़े पांच हजार साल पुराना यह ऐतिहासिक मंदिर है। भगवान राम के साक्ष्य यहां कोने- कोने में मौजूद है।अर्धकाशी कहलाने वाले भगवान राम की इस नगरी में भगवान राम की पाठशाला भी हैं उनकी लीला से जुड़े कई स्थल भी हैं।
देश-विदेश से शिक्षा करते हैं ग्रहण
भगवान राम और उनके दोनों भाइयों यानी लक्ष्मण,भरत को योग और शिक्षा महर्षि वशिष्ठ ने दी थी। इस बात का प्रमाण है महर्षि वशिष्ठ का योग ग्रंथ। माउंटआबू का गौमुख वशिष्ठ आश्रम देश ही नहीं विश्व में अपना अलग स्थान रखता है। यह जगह शिक्षा का केंद्र है जहां देश-विदेश से बच्चे शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते है। राम की शिक्षा के बाद से लेकर आज भी ऐसा ही माहौल बच्चों के अभिभावक पाते है। आज भी भगवान राम की भक्ति में यहां शिष्य नाचने लगते हैं। यहां 33 करोड़ देवी देवताओं का वास कहा जाता है।
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इस कुंड में स्नान करते थे भगवान राम
माउंट आबू स्थित मंदिर के प्रांगण में प्राचीन रामकुंड स्थित है। इस रामकुंड का वर्णन स्कंद पुराण में भी है। इस रामकुंड के बारे में ये पौराणिक मान्यता है कि यहां भगवान राम रोज सुबह में स्नान किया करते थे। भगवान राम महर्षि वाल्मिकी के आश्रम में अपने छोटे भाई लक्ष्मण के साथ रहकर पढ़े थे और दोनों इसी कुंड में सुबह नहाने आया करते थे। उसी के बाद से ये कुंड रामकुंड के नाम से जाना जाता है। इस कुंड के बारे में खास बात ये है कि इसका पानी लोग आज भी पीते है।
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रोगों से मुक्ति दिलाता है पानी
रामकुंड का पानी के बारे में ये माना जाता है कि ये कई रोगों से मुक्ति दिलानेवाला और मानसिक शांति को देनेवाला होता है। रामकुंड का जल विदेशी भी ले जाते है। स्थानीय लोगों की इस कुंड और उसमें पानी के प्रति गहरी आस्था है और वो इसे भगवान राम का प्रसाद मानते है। रामकुंड का पानी कभी भी खराब नहीं होता है इसलिए जो श्रद्धालु यहां आते है वो इस पानी को आदर के साथ अपने साथ जरूर ले जाते है।
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