- 15वीं शताब्दी तक लोग रामसेतु से पैदल व पारंपरिक वाहनों के जरिए रामेश्वरम से मन्नार की दूरी करते थे तय
- 1400 किलोमीटर है रामसेतु की लंबाई, महज 5 दिनों में हुआ था रामसेतु का निर्माण।
- रामसेतु के निर्माण कार्य को पूरा होने के लिए स्वयं भगवान राम ने रखा था व्रत।
Mystery Of Ramsetu In Hindi: समुद्र पर बने रामसेतु को दुनियाभर में एडेम्स ब्रिज के नाम से जाना जाता है। हिंदु धार्मिक ग्रंथों के अनुसार यह एक ऐसा पुल है जिसे मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने वानर सेना संग लंका पहुंचने के लिए बनवाया था। यह पुल भारत के रामेश्वरम से शुरु होकर श्रीलंका के मन्नार को जोड़ता है। श्री राम का सेतु एक ऐसी कहानी है जिसे लोग विज्ञान का हवाला देकर फसाना मानते थे। लेकिन कुछ समय पहले ही अमेरिकी साइंस चैनल ने यह दावा किया कि रामसेतु वाकई मौजूद था और इसे रामायण काल से संबंधित बताया। उनका कहा है कि रामेश्वरम औऱ श्रीलंका के बीच बहुत से ऐसे पत्थर मौजूद हैं जो करीब 7000 साल पुराने हैं। कुछ लोग इसे धार्मिक महत्व देते हुए ईश्वर का चमत्कार मानते हैं तो वहीं अमेरिका के इस प्रमाण के बाद यह राजनीतिक मुद्दा बन गया था ।ऐसे में आइए जानते हैं रामसेतु के बारे में 10 अनसुने रहस्य जिसे आपने अब तक नहीं सुना होगा।
नल और नील ने किया था रामसेतु का निर्माण
रावण का वध करने के लिए जब भगवान श्री राम लंका पहुंचे तो उनके लिए सबसे बड़ी समस्या थी रावण के लंका तक पहुंचना। इसके लिए भगवान श्री रामचंद्र जी को इस समुद्र को पार करना था। इसके लिए भगवान राम ने रामसेतु के निर्माण की योजना बनाई। रामसेतु के निर्माण हेतु जब भगवान श्री राम ने समुद्र देव से मदद मांगी तो समुद्र देव ने बताया कि आपकी सेना में नल और नील एसे ऐसे प्रांणी हैं जिन्हें इस पुल के निर्माण की पूरा जानकारी है। समुद्र देव ने भगवान राम से कहा कि नल और नील आपकी आज्ञा से सेतु बनाने के कार्य में अवश्य सफल होंगे।
महज 5 से 6 दिनों में हुआ था रामसेतु का निर्माण
रामसेतु के निर्माण महज 5 से 6 दिनों में पूरा हुआ था। जी हां आपको यह सुनकर जरूर हैरानी होगी कि इसके निर्माण में महज 5 से 6 दिन लगे थे। इस बात को अमेरिकी वैज्ञानिकों ने भी स्वीकार किया है। आपको बता दें समुद्र की लंबाई लगभग 100 योजन है। एक योजन में लगभग 13 से 14 किलोमीटर होते हैं यानि रामसेतु की लंबाई करीब 1400 किलोमीटर है।
लंका से लौटने के बाद सेतु को समुद्र में कर दिया था तबदील
रावण का वध कर श्रीलंका से लौटने के बाद भगवान राम ने रामसेतु को समुद्र में डुबो दिया था। ताकि कोई भी इसका दुरुपयोग ना कर सके। यह घटना युगों पहले की बताई जाती है। लेकिन कालांतर में बताया जाता है कि समद्र का जल स्तर घटता गया और सेतु फिर से ऊपर आता गया।
सेतु के निर्माण के लिए खुद भगवान राम ने रखा था व्रत
रामसेतु के निर्माण के दौरान सेतु के निर्माण कार्य के पूरा होने के लिए भगवान राम ने विजया एकादशी के दिन स्वयं बकदालभ्य ऋषि के कहने पर व्रत रखा था। नल तथा नील की मदद से रामसेतु का निर्माण पूर्ण हुआ था।
अमेरिका भी हुआ नतमस्तक
अमेरिका साइंस चैनल ने यह दावा किया कि रामसेतु वाकई में मौजूद था। एख रिसर्च के बाद उन्होंने रामसेतु को मानव निर्मित बताया। उन्होंने बताया कि भारत औऱ श्रीलंका के बीच 50 किलोमीटक लंबी रेखा चट्टानों से बनी है और ये चट्टान लगभग 7 हजार साल पुरानी है। तथा जिस बालू पर यह टिकी है वह 4 हजार साल पुरानी है।
पैदल तय करत थे दूरी
आपको बता दें 15वीं शताब्दी तक लोग रामसेतु से पैदल रामेश्वरम से मन्नार की दूरी तय करते थे। इस पर लोग पारंपरिक वाहनों से जाया करते थे। नासा की एक रिपोर्ट के अनुसार यह पुल लगभग सात साल पुराना है।
अलग अलग नामों से जाना जाता है पुल
रामायण काल के दौरान इस पुल का नाम भगवान राम ने नील पुल रखा था। इसके बाद श्रीलंका के मुसलमानों ने इस पुल को आदम पुल का नाम दिया था। इसाईयों ने इसे एडम ब्रिज का नाम दिया। उनका मानना था कि आडम इस पुल से होकर गुजरे थे। रामायण में इस पुल का नाम रामसेतु उल्लेख है।