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Nag Panchami Rituals: जानें, नाग पंचमी के दिन सांपों को दूध पिलाने के पीछे क्या है मान्यता

Updated Jul 24, 2020 | 14:48 IST

Nag Panchami: सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी मनाई जाती है और इस दिन नागों को दूध पिलाने की परंपरा है। क्या इस मान्यता के पीछे के कारण आप जानते हैं?

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Tradition of feeding snakes on Nag Panchami, नाग पंचमी पर सांपों को दूध पिलाने की परंपरा
मुख्य बातें
  • भविष्य पुराण में भी उल्लेखित है नाग देवता की पूजा
  • नाग देवता की पूजा से सर्पदंश से परिवार की सुरक्षा होती है
  • मान्यता है कि इससे शिवजी और विष्णुजी भी प्रसन्न होते हैं

सावन मास में शिवजी का सबसे प्रिय महीना माना गया है। इस महीने कई प्रमुख त्योहार भी आते हैं। इनमें से  नाग पंचमी भी एक खास त्योहार है। शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग देवता की पूजा का विधान है। मान्यता है कि इस दिन सांपों को दूध और खील यानी लावा खिलाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। 25 जुलाई को नागपंचमी मनाई जाएगी। इस दिन लोग नाग देवता की तस्वीरें भी खरीद कर अपने घर के मुख्य दरवाजों पर लगाते हैं और सांपों के लिए दूध और लावा भी रखते हैं।

मान्यता है कि इससे नाग देवता की घर-परिवार पर कृपा बनी रहती है। माना जाता है कि इस दिन सांपों की पूजा करने और उन्हें दूध पिलाने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

क्यों है नाग या सांपों को दूध-लावा खिलाने की परंपरा

भविष्य पुराण में वर्णित है कि जो नाग पंचमी के दिन नाग पूजा करते हैं और सांपों को दूध-लावा देते हैं उनसे नाग देवता खुश हो जाते हैं और इससे उनके परिवार पर सर्पदंश का खतरा नहीं रहता। पुराण में वणित है कि महाराज जनमेजय ने एक बार नाग यज्ञ किया था जिसके कारण नागों का शरीर जल गया था तब आस्तिक मुनि ने उनके शरीर पर दूध डालकर उनकी रक्षा की थी। इसलिए इस दिन नागों को दूध चढ़ाया जाता है। साथ ही लावा भी दिया जाता है।

नाग पंचमी कथा में है पूजा का जिक्र

नाग देवता की पूजा के बारे में नाग पंचमी कथा से पता चलता है। एक किसान के दो पुत्र व एक पुत्री थी। एक दिन हल जोतते समय उससे भूल से नाग के तीन बच्चे कुचल कर मर गए।  नागिन पहले तो विलाप करती रही फिर उसने अपनी संतान की हत्या का बदला लेने के लिए नागिन ने किसान की पत्नी व दोनों लड़कों को डस लिया। अगले दिन सुबह किसान की पुत्री को डसने के लिए नागिन फिर आई तो किसान ने कन्या ने उसके सामने दूध का भरा कटोरा रख दिया। हाथ जोड़ क्षमा मांगने लगी। नागिन को उस पर दया आ गई और वह प्रसन्न होकर उसके माता-पिता व दोनों भाइयों को पुनः जीवित कर दिया। उस दिन श्रावण शुक्ल पंचमी थी। तब से आज तक नागों के कोप से बचने के लिए इस दिन नागों की पूजा की जाती है।

मिलता है कई देवता और ग्रह का आशीर्वाद

शिव जी के गले का हार और विष्णु जी की शैय्या सांप हैं। इसलिए माना जाता है कि नाग की पूजा करने से शिव जी और विष्णु जी दोनों ही प्रसन्न होते है।

ज्योतिष भी देता है इस बात का संकेत

दूध चंद्रमा का प्रतीक माना गया है और भगवान शिव के मस्तक पर चंद्रमा विराजमान है। चंद्रमा को मन का कारक माना गया है। ज्योतिष में मान्यता है कि यदि मन को शिवजी के प्रति सर्पित करते हुए नाग पंचमी पर सांप को दूध पिलाया जाता है तो इससे नाग देवता, शिवजी, विष्णु जी और चंद्रमा भी प्रसन्न होते हैं। माना जाता है कि नाग पृथ्वी को संतुलित करते हैं। ऐसे में उनकी उपासना का महत्व और भी बढ़ जाता है।

पुराणों के अनुसार ही सदियों से लोग नाग देवता की पूजा के साथ सांपों को दूध पिलाते हैं। क्योंकि दूध अकेले नहीं दिया जा सकता है, इसलिए लावा भी साथ में चढ़ाया जाता है।

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