- प्रतिदिन पूजा में कम से कम 21 बार करें नवग्रह स्त्रोत का पाठ
- श्री नवग्रह स्त्रोत का पाठ करने से कुंडली में सभी ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव होते हैं दूर
- नवग्रहों के अशुभ प्रभाव को कम करने का सबसे शक्तिशाली स्त्रोत है 'नवग्रह स्त्रोत'
Navagraha Stotra Path Benefits: ज्योतिष शास्त्र में कुल नवग्रहों के बारे में बताया है। इन सभी ग्रहों का प्रभाव व्यक्ति के जीवन और स्वास्थ्य पर पड़ता है। नवग्रहों में सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु जैसे प्रमुख ग्रह होते हैं। इन सभी नवग्रहों का संबंध शरीर के किसी ने किसी अंग से होता है। जातक की कुंडली में यदि इन ग्रहों का अशुभ प्रभाव हो तो इससे व्यक्ति का स्वास्थ्य बिगड़ सकता है। साथ ही ग्रहों के अनुकूल प्रभाव से जीवन में कई तरह की समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है। ग्रहों की चाल को अनुकूल बनाने के लिए ज्योतिष में कोई उपाय और पूजा पाठ के बारे में बताया गया है। वहीं कुंडली में एक से अधिक ग्रह अशांत है तो इसके लिए श्री नवग्रह स्त्रोत का पाठ करना चाहिए। नवग्रह स्त्रोत का पाठ प्रतिदिन करने से ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं।
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श्री नवग्रह स्तोत्र पाठ
जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महद्युतिं
तमोरिसर्व पापघ्नं प्रणतोस्मि दिवाकरं (रवि)
दधिशंख तुषाराभं क्षीरोदार्णव संभवं
नमामि शशिनं सोंमं शंभोर्मुकुट भूषणं (चंद्र)
धरणीगर्भ संभूतं विद्युत्कांतीं समप्रभं
कुमारं शक्तिहस्तंच मंगलं प्रणमाम्यहं (मंगळ)
प्रियंगुकलिका शामं रूपेणा प्रतिमं बुधं
सौम्यं सौम्य गुणपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहं (बुध)
देवानांच ऋषिणांच गुरुंकांचन सन्निभं
बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिं (गुरु)
हिमकुंद मृणालाभं दैत्यानां परमं गुरूं
सर्वशास्त्र प्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहं (शुक्र)
नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजं
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्वरं (शनि)
अर्धकायं महावीर्यं चंद्रादित्य विमर्दनं
सिंहिका गर्भसंभूतं तं राहूं प्रणमाम्यहं (राहू)
पलाशपुष्प संकाशं तारका ग्रह मस्तकं
रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहं (केतु)
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प्रतिदिन करें नवग्रह स्त्रोत का पाठ
नवग्रह स्त्रोत का पाठ प्रतिदिन करना चाहिए। प्रतिदिन पूजा-पाठ के समय कम से कम इस स्त्रोत का 21 बार पाठ करें। नवग्रह स्त्रोत का पाठ करन वाले व्यक्ति की कुंडली में ग्रह शांत रहते हैं। साथ ही ग्रहों के प्रकोप से भी रक्षा होती है। इस स्त्रोत का प्रतिदिन पाठ करने से रोग दूर हो जाते हैं और व्यक्ति को शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)