- हर वर्ष अक्षय तृतीया तिथि पर परशुराम जयंती मनाई जाती है, परशुराम जी को शिव जी का आशीर्वाद प्राप्त है।
- भगवान परशुराम श्री हरि के छठवें अवतार हैं जिन्हें अमर रहने का आशीर्वाद प्राप्त है।
- परशुराम की पूजा करने से सभी भय दूर हो जाते हैं, पूजा में परशुराम जी को मिठाई का भोग लगाना चाहिए।
Parshuram jayanti 2021 puja vidhi: भगवान परशुराम का जन्म ब्राह्मण कुल में वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर हुआ था। यह तिथि बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि इस तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया भी कहा जाता है जो सनातन धर्म के लोगों के लिए बहुत विशेष होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष अक्षय तृतीया और परशुराम जयंती 14 मई को पड़ रही हैं।
हिंदू धर्म शास्त्रों में यह उल्लेख किया गया है कि भगवान परशुराम भगवान विष्णु के छठवें अवतार हैं। न्याय के देवता परशुराम को भगवान शिव ने परशु आशीर्वाद में दिया था जिसके वजह से उनका नाम परशुराम रखा गया। परशु का अर्थ फरसा होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान परशुराम ने 21 बार इस धरती को क्षत्रिय विहीन कर दिया था।
भगवान परशुराम के गुस्से से भगवान गणेश भी नहीं बच पाए थे। ब्रह्मवैवर्त पुराण में यह उल्लेख किया गया है कि एक बार भगवान गणेश ने भगवान परशुराम को शिवजी से मिलने से मना कर दिया था। इस वजह से क्रोधित होकर भगवान परशुराम ने भगवान गणेश का दांत तोड़ दिया था। यही कारण है कि भगवान गणेश को एकदंत जाता है। मान्यताओं के अनुसार, परशुराम जी की पूजा करने से सभी तरह का भय मिट जाता है तथा इंसान के साहस में वृद्धि होती है।
परशुराम जयंती पूजा विधि
परशुराम जयंती पर सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लीजिए फिर साफ कपड़े ग्रहण कर लीजिए। पूजा घर को गंगाजल से शुद्ध करने के बाद एक चौकी पर साफ कपड़ा बिछा लीजिए फिर भगवान परशुराम जी की मूर्ति या तस्वीर को उस पर स्थापित कर दीजिए। अब भगवान परशुराम जी के चरणों में फूल और अक्षत अर्पित कीजिए और अन्य पूजन सामग्री चढ़ाइए। पूजन सामग्री अर्पित करने के बाद भगवान परशुराम को मिठाई का भोग अवश्य लगाइए फिर धूप दीप से उनकी आरती कीजिए। अंत में भगवान परशुराम को याद करते हुए उनसे शक्ति प्रदान करने का वरदान मांगिए।