- आज यानी 17 जनवरी 2022, सोमवार को है पौष पूर्णिमा व्रत।
- पौष पूर्णिमा का दिन श्रीहरि भगवान विष्णु को माना जाता है अत्यंत प्रिय।
- इस दिन चंद्रदेव की पूजा का है विधान, चंद्रमा को अर्घ्य देने से सभी पापों से मुक्ति मिलने की है मान्यता।
Paush Purnima 2022 Date, Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Samagri List : पौष माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली पूर्णिमा तिथि को पौष पूर्णिमा और शाकंभरी पूर्णिमा के नाम से जाना गया है। आज यानी 17 जनवरी 2022 को पौष पूर्णिमा की तिथि है और इस दिन भगवान विष्णु तथा माता लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है। पौष पूर्णिमा के दिन स्नान और दान का भी विशेष महत्व है। इस दिन पवित्र नदी या कुंड में स्नान करके सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। इसके साथ शाम को चंद्र देव की पूजा का भी विधान है। पौष पूर्णिमा के दिन सच्चे मन से पूजा पाठ करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं तथा अनेक परेशानियों से छुटकारा मिलता है।
साथ ही इस दिन विधिवत श्रीहरि भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने और सत्यनारायण भगवान की कथा का श्रवण करने से मनुष्य जन्म मरंण के बंधन से मुक्त हो जाता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस बार पौष मास की पूर्णिमा 17 जनवरी 2022, शुक्रवार को है।
पौष पूर्णिमा का महत्व (Paush Purnima Significance)
पौष पूर्णिमा शुभ मुहूर्त, Paush Purnima 2022 Shubh Muhurat
हिंदू पंचांग के अनुसार पूर्णिमा तिथि 17 जनवरी 2022, सोमवार को रात 03 बजकर 18 मिनट से शुरू होकर 18 जनवरी 2022, मंगलवार को सुबह 05 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगी।
पौष पूर्णिमा व्रत विधि, Paush Purnima vrat vidhi
- पौष पूर्णिमा के पावन अवसर पर सुबह सूर्योदेय से पहले स्नान कर निवृत हो जाएं। बता दें इस दिन किसी पवित्र नदी में गंगा स्नान का विशेष महत्व है, लेकिन यदि आप किसी कारणवश गंगा स्नान ना कर पाएं तो पानी में गंगाजल डालकर घर पर ही स्नान कर लें।
- नहाने के बाद सूर्य देव को तांबे के लोटे में पुष्प, अक्षत व तिल डालकर अर्घ्य दें। इसके बाद एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर श्रीहरि भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें व सभी देवी देवताओं को गंगाजल से अक्षिषेक करें।
- अब भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन सत्यनारायण भगवान की कथा का पाठ करने से जातक जन्म मरंण के बंधन से मुक्त होता और सभी कष्टों का निवारण होता है।
- भगवान विष्णु को पंचामृत का भोग लगाएं, भोग में तुलसी के पत्तों को जरूर शामिल करें। कहा जाता है कि तुलसी के पत्तों के बिना श्रीहरि भोग स्वीकार नहीं करते हैं। ध्यान रहे कि पूर्णिमा के एक दिन पहले से सिर्फ सात्विक भोजन ग्रहंण करें व भूलकर भी मांस मदिरा का सेवन ना करें।
- पूर्णिमा के दिन चंद्र पूजन का भी विशेष महत्व है, इस दिन चंद्रमा अपने पूर्ण आकार में नजर आते हैं।
- चंद्रदेव को अर्घ्य देने के बाद उनकी पूजा अर्चना करें, मान्यता है कि चंद्रमा को अर्घ्य देने से सभी कष्टों का निवारण होता है दोषों से मुक्ति मिलती है।
- इस दिन गरीब, ब्राम्हण व जरूरतमंद लोगों दो दान पुण्य करना चाहिए।
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Paush Purnima 2022
आपको बता दें कि 17 जनवरी को सुबह 08 बजकर 26 मिनट से 09:44 AM तक राहुकाल रहेगा। इस दौरान सभी शुभ कार्यों की मनाही होती है। ऐसे में भूलकर भी इस दौरान कोई शुभ कार्य ना करें।