- एक ही भगवान की दो प्रतिमाएं कभी भी मंदिर में न रखें
- भगवान की पीठ नजर आना गंभीर दोष का कारण होता है
- रौद्र और युद्ध वाली करती भगवान की तस्वीरें मंदिर में न रखें
घर में भगवान की पूजा के लिए या तो अलग से पूजा घर बनवाया जाता है या छोटा सा मंदिर रखा जाता है। भगवान का स्थान घर का सबसे पवित्र स्थान होता है। ऐसे में जरूरी है कि आपको इस स्थान या मंदिर पर विशेष ध्यान देना चाहिए। पूजा घर या मंदिर में वास्तु नियमों का ध्यान देना भी बहुत जरूरी होता है। यदि मंदिर में वास्तु दोष हो तो इससे पूरे परिवार पर विपरीत प्रभाव पड़ता है और आपके द्वारा किए गए हर पूजा-पाठ का फल बेकार चला जाता है। इसलिए पूजा घर या मंदिर में भगवान की प्रतिमा रखने से लेकर दिशा आदि सभी बातों का ध्यान देना चाहिए।
घर के मंदिर में भगवान के लिए स्थान रखना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि इसके बिना घर पूर्ण नहीं माना जाता है, लेकिन मंदिर में कैसी प्रतिमा होनी चाहिए या प्रतिमा कैसे रखना चाहिए आदि के बारे में भी जानना चाहिए। क्योंकि बहुत सी प्रतिमाएं ऐसी होती हैं, जिन्हें घर मे रखने की मनाही होती है। वास्तु के अनुसार, कई मूर्तियां ऐसी भी होती हैं, जिनका दर्शन करना मनुष्य के लिए अशुभ प्रभाव देता है। तो चलिए आपको बताएं कि कि पूजा से जुड़े किन वास्तु नियमों का पालन हमें करना चाहिए।
पूजा घर या मंदिर में इन वास्तु नियमों का दें ध्यान
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वास्तु नियमों के अनुसार भगवान की प्रतिमा घर में इस तरीके से रखना चाहिए कि प्रभु का पीठ नजर न आए। भगवान का पीठ नजर आना गंभीर वास्तु दोष का कारण बनता है। भगवान की पीठ का दिखना शुभ नहीं माना जाता है। यदि पीठ नजर आती हो तो आपको भगवान को कपड़े से ढक देना चाहिए या दीवार से लगाकर रखना चाहिए, क्योंकि अगर पीठ दिखती है तो कुछ ना कुछ अनिष्ट हो सकता है।
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पूजा स्थल कभी में एक ही भगवान की दो तस्वीर या प्रतिमा नहीं रखनी चाहिए। यदि है तो कभी भी दोनों प्रतिमाएं आमने-सामने नहीं होनी चाहिए, क्योंकि इस वजह से घर में नकारात्मक उर्जा बढ़ती है।
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पूजा घर या मंदिर में कभी पूर्वजों की तस्वीरों के साथ भगवान की तस्वीर न रखें। ऐसा करना भी वास्तु दोष का कारण होता है। पितृदेव के लिए अलग स्थान रखें।
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पूजा मंदिर में भूल कर भी कोई ऐसी प्रतिमा न रखें जो खंडित हो। खंडित प्रतिमा की पूजा बुरे प्रभाव देती है।
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पूजा घर या मंदिर में कभी भी तीन इंच से ऊंची प्रतिमा नहीं रखनी चाहिए। वास्तु के अनुसार अंगूठे के पोर के बराबर की प्रतिमाएं सबसे सर्वश्रेष्ठ मानी गई हैं।
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पूजा स्थल पर कभी शिवजी के तांडव मुद्रा वाली प्रतिमा या तस्वीर न रखें या देवी की ऐसी प्रतिमा न रखें जिसमें वह रौद्र रूप में हों। मंदिर में ऐसी प्रतिमा रखें जो आशीर्वाद मुद्रा में हो और सौम्य हो।
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भगवान की ऐसी किसी मूर्ति के दर्शन नहीं करने चाहिए, जिसमे वे युद्ध करते या किसी का विनाश करते नजऱ आए। ऐसी मूर्ति के दर्शन करना भी दु:खों का कारण बन सकता है।
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घर में गणपति जी की चाहे जितनी भी प्रतिमा रखें, लेकिन पूजा केवल किसी एक की ही करनी चाहिए।
वास्तु के इन नियमों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है, क्योंकि तभी पूजा का फल प्राप्त होगा और घर-परिवार में सुख और शांति आएगी।