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Pradosh Vrat 2022: प्रदोष व्रत में भगवान शिव को भूलकर भी अर्पित ना करें ये 5 चीजें

Updated Sep 23, 2022 | 12:08 IST

Pradosh Vrat 2022 : आज भाद्रपद माह का दूसरा प्रदोष व्रत है। प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। इसमें सूर्यास्त से 45 मिनट पहले और सूर्य ढलने के 45 मिनट बाद महादेव की पूजा की जाती है। ऐसे कहत हैं कि इस दिन उपवास करने और भगवान शिव को जल चढ़ाने से मनोवांछित फल की प्राप्ति हो सकती है।

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प्रदोष व्रत में भगवान शिव को भूलकर भी अर्पित ना करें ये 5 चीजें
मुख्य बातें
  • भगवान शिव को समर्पित है प्रदोष व्रत
  • इस दिन शिवजी की उपासना बहुत फलदायी होती है
  • इस दिन शिवजी को 5 चीजें अर्पित करने से बचें

Pradosh Vrat 2022: हिंदू धर्म में हर माह के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। इस तरह हर महीने दो बार प्रदोष व्रत रखा जाता है।आज भाद्रपद माह का दूसरा प्रदोष व्रत है। प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। इसमें सूर्यास्त से 45 मिनट पहले और सूर्य ढलने के 45 मिनट बाद महादेव की पूजा की जाती है। ऐसे कहत हैं कि इस दिन उपवास करने और भगवान शिव को जल चढ़ाने से मनोवांछित फल की प्राप्ति हो सकती है। हालांकि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव को पांच चीजें चढ़ाने से बचना चाहिए।

तुलसी के पत्ते

 भगवान शिव को कभी भी तुलसी के पत्ते नहीं चढ़ाने चाहिए। ऐसा कहते हैं कि शिवजी ने तुलसे के पति जलंधर का वध कर दिया था। तभी से तुलसी ने अपने चमत्कारी गुणों से भगवान शिव को वंचित रखा है।

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शंख

 अक्सर आपने देखा होगा कि शिवजी की पूजा में लोग शंख का इस्तेमाल करते है, जो कि बिल्कुल गलत है। भगवान शिव ने शंखचूड़ नाम के राक्षस का वध किया था। तभी से शिवजी की पूजा में शंख का प्रयोग वर्जित माना जाता है।

हल्दी

 कुछ लोग शिवलिंग पर हल्दी से तिलक करते हैं। शास्त्रों के अनुसार, ऐसा करना गलत है। दरअसल महादेव श्मशान में रहते हैं और हल्दी लड़कियों के सौंदर्य का प्रतीक है। इस वजह से शिवलिंग या शिव को हल्दी अर्पित करने से बचना चाहिए।

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फूल

भगवान शिव की पूजा में लाल रंग के फूल का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इसके अलावा, गुड़हल या केतकी के फूलों को भी वर्जित माना जाता है।

सिंदूर

भगवान शिव को सिंदूर का तिलक करने से भी बचना चाहिए। भगवान शिव वैरागी हैं और शिवलिंग को उनका प्रतीक मानकर पूजा जाता है। जबकि सिंदूर सुहागिनों की मांग का गहना होता है।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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