- हर महीने शुक्ल और कृष्ण पक्ष के त्रयोदशी तिथि पर किया जाता है प्रदोष व्रत, भगवान शिव को समर्पित है यह दिन
- संतान प्राप्ति के लिए महिलाएं करती हैं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा, पूरी होती है यह मनोकामना
- संध्या काल में भगवान शिव की पूजा करना माना जाता है अत्यंत शुभ, भक्तों पर बरसती है प्रभु की विशेष कृपा
हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 24 मई को है यानी इस दिन भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत रखा जाएगा। पंचांग के अनुसार, 24 मई सोमवार का दिन है जो इसकी महत्वकांक्षा को बढ़ा रहा है। सोमवार के दिन पर प्रदोष व्रत पड़ने के चलते इसे सोम प्रदोष कहा जाएगा।
माना जाता है कि जो भक्त प्रदोष व्रत करता है तथा इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अराधना करता है उसकी सभी मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती हैं। मान्यताओं के अनुसार, संध्या काल यानी प्रदोष काल में शिव जी की पूजा करना बहुत लाभदायक होता है।
यहां जानिए प्रदोष व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त और क्यों करनी चाहिए प्रदोष व्रत पर संध्या काल में भगवान शिव की पूजा।
प्रदोष व्रत की तिथि और शुभ मुहूर्त
प्रदोष व्रत तिथि: - 24 मई 2021, सोमवार
त्रयोदशी तिथि प्रारंभ: - 24 मई 2021, सुबह (03:38)
त्रयोदशी तिथि समाप्त: - 25 मई 2021, रात (12:11)
शुभ मुहूर्त: - शाम 07:10 से लेकर रात 09:13 तक
क्यों करनी चाहिए प्रदोष व्रत पर संध्या काल में भगवान शिव की पूजा?
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। कुंडली में चंद्र ग्रह को मजबूत करने के लिए भी प्रदोष व्रत बहुत लाभकारी होता है। कहा जाता है कि संतान प्राप्ति के लिए प्रदोष व्रत करने से यह इच्छा अवश्य पूरी होती है।
वहीं, जानकार बताते हैं कि संध्या काल या प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करना अत्यंत कल्याणकारी होता है। इस काल में महादेव कैलाश पर नृत्य करते हैं इसीलिए संध्या काल में विधि अनुसार भगवान शिव जी की पूजा करना लाभदायक होता है। ऐसे में भगवान शिव और माता पार्वती अपने भक्तों को सौभाग्य और दीर्घायु का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।