- बीज रूपी फल होता है नारियल
- नारियल या श्रीफल में होता है त्रिदेवों का वास
- नारियल के बिना कई पूजा मानी जाती है अधूरी
Women Don't Break coconut in Auspicious Work: हिंदू धर्म में नारियल को शुभ माना जाता है। इसलिए पूजा-पाठ और कई शुभ कार्यों की शुरुआत नारियल फोड़कर की जाती है। नारियल के बिना विशेष पूजा-पाठ, यज्ञ, हवन और कई शुभ कार्यों को अधूरा माना जाता है। शास्त्रों में भी नारियल को श्रीफल कहा गया है और इसके जल को अमृत के समान माना गया है। लेकिन पूजा संबंधी कार्यों में महिलाओं को नारियल फोड़ने की अनुमति नहीं होती। आखिर महिलाओं को नारियल फोड़ने की मनाही क्यों होती है। अगर आप इस बारे में नहीं जानते तो यह लेख आपके लिए ही है। तो चलिए जानते हैं क्यों वर्जित होता है महिलाओं का नारियल फोड़ना।
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नारियल में होता है त्रिदेवों का वास
संस्कृत में नारियल को श्रीफल कहा जाता है। दरअसल, नारियल माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु का फल होता है। इसलिए भी इसे श्रीफल कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि जब भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर अवतार लिया तो वे स्वर्ग से अपने साथ मां लक्ष्मी, नारियल का वृक्ष और कामधेनु ये तीन चीजें लेकर आए थे। इसलिए भी नारियल को श्रीफल कहा जाता है और इसे महत्वपूर्ण माना जाता है। नारियल में त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है। यही कारण है कि हिंदू धर्म से जुड़े हर वैदिक या देविक कार्य में नारियल या श्रीफल चढ़ाने का महत्व है।
इसलिए महिलाओं को नारियल फोड़ना होता है वर्जित
पूजा पाठ या शुभ कार्यों में प्रयोग किए जाने वाले नारियल को महिलाएं नहीं फोड़ सकती। यह परंपरा युगों से चली आ रही है। शास्त्रों में भी इसे अशुभ माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार, महिलाएं पूजा-पाठ आदि कार्यों में नारियल चढ़ा सकती हैं लेकिन उसे फोड़ नहीं सकती। इसका कारण यह होता है कि नारियल को बीज रूप माना गया है। इसलिए इसे उत्पादन या प्रजनन का कारक माना गया है। स्त्री बीज रूप में ही एक शिशु को जन्म देती है। इसलिए नारियल या श्रीफल फोड़ने पर स्त्रियों को मनाही होती है। कहा जाता है कि अगर कोई महिला नारियल फोड़ती है तो उसे गर्भधारण करने में समस्या होती है। या फिर उसके संतान को कष्ट होता है। इसी कारण महिलाओं को नारियल नहीं फोड़ना चाहिए।
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इन कार्यों में होता है नारियल का विशेष महत्व
हिंदू धर्म से जुड़े कई परंपरा और रीति-रिवाजों में भी नारियल का विशेष महत्व होता है। विवाह तय होने के बाद, तिलक में, जनेऊ संस्कार, हल्दी रस्म आदि में नारियल को भेंट स्वरूप दिया जाता है। इसके अलावा कन्या की विदाई में पिता द्वारा भी बेटी को नारियल दिए जाने की परंपरा है। कलश स्थापना, यज्ञ व हवन जैसे कई धार्मिक अनुष्ठानों में सूखे नारियल का प्रयोग किया जाता है।
(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)