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क्‍या है सूर्य को जल देने का सही तरीका, बचें इन गलतियों से...

Updated Oct 23, 2017 | 09:06 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

हिंदू परंपराओं में सूर्य को जल देने के कई फायदे बताए गए हैं। लेकिन ये होते तभी हैं, जब ये अर्घ्‍य पूरी विध‍ि से दिया जाए। जानें कैसे चढ़ाना चाहिए सूर्य को जल...

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तस्वीर साभार:&nbspBCCL
तांबे के पात्र में ही दें सूर्य को अर्घ्‍य

नई द‍िल्‍ली: हिंदू मान्‍यताओं में सूर्य को जल देने की महिमा बताई गई है। वैदिक काल से ही उनकी उपासना होती आ रही है। विष्णु पुराण, भगवत पुराण, ब्रह्मा वैवर्त पुराण आदि में इसकी चर्चा विस्‍तार से की गई है। 

मान्यता है कि इनकी कृपा दृष्टि से रोग और शोक नष्ट हो जाते हैं। जब श्री विष्णु धरती पर श्रीराम रूप में अवतरित हुए तो वो भी अपने दिन का आरंभ सूर्य नारायण की पूजा के उपरांत करते थे। दरअसल, सूर्य को प्रत्यक्ष देवता माना जाता है क्‍योंकि हर कोई इनके साक्षात दर्शन कर सकता है। 

सूर्य कृपा के लिए चढ़ाएं जल 
किसी भी व्‍यक्‍त‍ि की कुंडली में मौजूद सूर्य ग्रह को पिता या ज्येष्ठ का दर्जा दिया जाता है। जिस जातक की कुंडली में सूर्य की स्थिति सही ना हो या उनका ताप अधिक हो तो उसे सूर्य को जल चढ़ाने की सलाह दी जाती है। 
लेकिन कई बार ऐसा होता है कि नियमित तौर जल चढ़ाने के बाद भी कोई अपेक्षित परिणाम हासिल नहीं हो पाते। ऐसे हालातों इन उपायों से विश्वास उठने लगता है, जोकि किसी भी रूप में सही नहीं है। हो सकता है आप कुछ ऐसा कर रहे हों जिससे वह उपाय विफल हो रहा हो, या फिर आपका तरीका सही ना हो। 

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सूर्य को जल देने की व‍िध‍ि 
- सूर्य देव को जल चढ़ाने का सबसे पहला नियम यह है कि उनके दिखने के एक घंटे के अंदर उनको अर्घ्‍य देना चाहिए। या फिर यह समय सुबह 8 बजे तक का ही है। नियमित क्रियाओं से मुक्त होकर और स्नान करने के बाद ही ऐसा किया जाना चाहिए।
- सूर्य को जल देते समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर ही होना चाहिए। अगर कभी पूर्व दिशा की ओर सूर्य नजर ना आएं तब ऐसी स्थिति में उसी दिशा की ओर मुख करके ही जल अर्घ्य दे दें।
- सूर्य को जल देते समय आप उसमें पुष्प और अक्षत (चावल) मिला सकते हैं। साथ ही साथ अगर आप सूर्य मंत्र का जाप भी करते रहेंगे तो आपको विशेष लाभ प्राप्त होगा
- लाल वस्त्र पहनकर सूर्य को जल देना ज्यादा प्रभावी माना गया है, जल अर्पित करने के बाद धूप, अगबत्ती से पूजा भी करनी चाहिए।
- अर्घ्य देते समय हाथ सिर से ऊपर होने चाहिए। ऐसा करने से सूर्य की सातों किरणें  शरीर पर पड़ती हैं। सूर्य देव को जल अर्पित करने से नवग्रह की भी कृपा रहती है।
 - इसके बाद तीन परिक्रमा करें।
 - मनोवांछित फल पाने के लिए प्रतिदिन इस मंत्र का उच्चारण करें- ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।। 

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तांबे के पात्र का करें प्रयोग 
सूर्य को जल देने के लिए शीशे, प्लास्टिक, चांदी... आदि किसी भी धातु के बर्तन का प्रयोग नहीं करना चाहिए। सूर्य को जल देते समय केवल तांबे के पात्र का ही प्रयोग उचित है।
साथ ही सूर्य को जल चढ़ाने से अन्य ग्रह भी मजबूत होते हैं। कुछ लोग सूर्य को अर्घ्य देते समय जल में गुड़ या चावल भी मिला लेते हैं। ये अर्थहीन है, इससे प्रभाव कम होने लगता है।

क्‍या हैं सूर्य कृपा पाने के फायदे 
- मान्यता के अनुसार यदि आप पर सूर्य की कृपा है तो जीवन और काम काज में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं। साथ ही धन प्राप्‍त‍ि के योग भी बनते हैं। 
- ग्रह दोष के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं और घर में सुख शांति का वातावरण बनता है
- आपके कौशल मे निखार आता है जिससे आप का व्यापार और काम काज अच्छा होने लगता है। 

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सेहत से भी जुड़ा है व‍िधान
सूर्य की किरणों से मिलने वाली एनर्जी से शरीर के अंग सुचारू रूप से काम करते हैं। सुबह सूर्य दर्शन से विट‍ामिन डी की कमी नहीं होती। यह विटामिन हमारे शरीर की कार्य प्रणाली को सही रखने में अहम भूमिका निभाता है।

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