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Salasar Balaji Temple: यहां दाढ़ी मूंछों वाले हनुमान जी करते हैं चमत्‍कार, मुस्लिम कारीगरों ने बनाया था मंदिर

Updated Jul 02, 2018 | 17:06 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

Salasar balaji temple: भारत में यह एक ऐसा पहला मंदिर है जिसमें हनुमान यानी बालाजी के दाढ़ी और मूंछ है। बताया जाता है कि इस विशाल मंदिर को मुस्लिम कारीगरों द्वारा बनाया गया है। आइए पढ़ें मंदिर की कहानी...

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तस्वीर साभार:&nbspgoodhousekeeping
Salasar balaji temple

नई दिल्‍ली: भक्‍तों के हर कष्‍ट को केवल नाम भर लेने से ही दूर करने वाले प्रभु हनुमान जी एक बड़ा मंदिर सालासर बालाजी राजस्थान के चूरू जिले में स्थित है। भारत में यह एक ऐसा पहला मंदिर है जिसमें बालाजी के दाढ़ी और मूंछ है। वहीं पूरे चेहरे पर सिंदूर लगा हुआ है। बताया जाता है कि इस विशाल मंदिर को मुस्लिम कारीगरों द्वारा बनाया गया है। 

भक्‍तों के लिए यहां पर कई धर्मशालाएंं और खाने-पीने के लिए रेस्तरां हैं। यह मंदिर सालासर कस्बे के बीच में बना हुआ है। इस मंदिर में दर्शन के लिए लोग दूर-दूर से अच्‍छी खासी तादाद में आते हैं। बता दें क‍ि अगर आप सालासर में दर्शन के लिए जाना चाहते हैं तो यह जयपुर - बीकानेर राजमार्ग पर स्थित है और सड़क मार्ग द्वारा यहां पहुंचने की अच्‍छी व्‍यवस्‍था है। ​

सालासर बालाजी के चमत्‍कार के किस्‍से बड़े प्रसिद्ध हैं। आइये जानते हैं उन्‍हीं में से एक ऐसी घटना के बारे में जिससे सालासर बालाजी को प्रसिद्ध कर दिया। 

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मंदिर के संबंध में प्रचलित कथा

यह घटना सन 1811 की है जब नागपुर के एक गांव में एक जाट किसान अपने खेत में हल चला रहा था। तभी अचानक उसके हल से जमीन में एक पथरीली चीज टकराई। उसने उस जगह को खोदा और पाया कि उसमें दो मूर्तियां दबी हुई हैं। जब उस किसान ने मूर्तियों पोछा तब पाया कि वह बालाजी भगवान श्री हनुमान की थी। 

हनुमान की जी मूर्ति देख उसने पूरे गांव में यह बात फैला दी। रात में सोते वक्‍त बालाजी ने उसे सपने में दर्शन दिए और आदेश दिया कि इस मूर्ति को चूरू जिले में सालासर भेज दिया जाए। फिर उसी रात हनुमान जी ने एक अन्‍य भक्‍त सालासर के मोहन दासजी को भी उनके सपने में आ कर दर्शन दिए। भगवान बालाजी ने उसे असोटा की मूर्ति के बारे में बताया। उस व्‍यक्‍ति ने तुरंत ही असोटा के ठाकुर को एक संदेश भेजा। 

जब असोटा के ठाकुर को पता चला कि मोहन दासजी को इस बारे में सब कुछ पता है तो वह हैरान रह गए। निश्चित रूप से यह चमत्‍कार बालाजी की कृपा से हुआ। फिर मूर्ति को सालासर भेज दिया गया और फिर इस जगह को आज सालासर धाम के रूप में जाना जाने लगा। वहीं दूसरी मूर्ति को पाबोलाम में स्‍थापित किया था। 

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आपको भारतभर में कहीं ऐसे हनुमान जी नहीं मिलेंगे जिनके चेहरे पर दाढ़ी और मूछ होगी। पहली बार बालाजी ने अपने भक्‍त मोहनराम को दाढ़ी मूंछों के साथ दर्शन दिए थे। तभी से हनुमान जी यहां दाढ़ी मूछों के साथ स्‍थ‌ित हैं।

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