- सावन में व्रत रखना धार्मिक ही नहीं स्वास्थ्य के लिहाज से भी बेहतर होता है
- सावन के महीने में हर किसी को तामसिक भोजन से दूर रहना चाहिए
- सावन में हरी पत्तेदार सब्जियों को खाने से परहेज करना जरूरी होता है
3 अगस्त तक सावन का महीना रहेगा। धार्मिक रूप से ये महीना पूजा-पाठ का होता है। भगवान शंकर को समर्पित इस महीने में पूजा पाठ के साथ सात्विक भोजन करने का विधान होता है। साथ ही बारिश का मौसम होने के कारण स्वास्थ्य के लिहाज से भी इन महीनों में खानपान पर विशेष ध्यान देना होता है। सावन के महीनें में कुछ चीजों का परहेज करना जरूरी हो जाता है, वहीं कुछ चीजों को खाने से ईश्वरीय कृपा भी बनी रहती है और सेहत भी चकाचक रहती है। सावन में कुछ फल सब्जियों को बिलकुल भी नहीं खाने की सलाह होती है। माना जाता है कि सावन में इन सब्जियों में विषैलापन बढ़ जाता है, जो सेहत के लिए ठीक नहीं होता।
sawan mein kya khana chahiye : सावन मास में क्या खाएं
सावन में फल का सेवन करना सही होता है, लेकिन ऐसे फल खानेे चाहिए जिससे पाचन शक्ति बढ़े। सावन मास में व्रत भी रखा जाता है, इसलिए ऐसे फल खाने चाहिए जो पेट को भरा महसूस कराएं और पाचने में भी आसान हों। सावन में पपीता खाना सबसे अच्छा माना गया है, क्योंकि इसमें पेप्सिन नामक तत्व होता है जो भोजन पचाने में मदद करता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट खूब होता है। साथ ही नींबू, अनार और सेब आदि का सेवन भी करना चाहिए।
sawan mein kya nahi khana chahiye : सावन मास में क्या ना खाएं
सावन में पालक, मैथी, लाल भाजी, बथुआ, बैंगन, गोभी, पत्ता गोभी जैसी सब्जियां खाने से बचना चाहिए। सावन के महीने में कीड़े-मकोड़े की अधिकता हो जाती है और इनके अंडे पत्तियों पर चिपके रहते हैं। इसलिए इन महीनों में पत्तेदार सब्जियों को खान से बचना चाहिए। बैगन आदि का सेवन भी नहीं करना चाहिए।
दूध और दही से भी बचें
सावन के महीने में बहुत ज्यादा दूध का प्रयोग न करें। दूध का सेवन गैस की समस्या हो सकती है। वहीं दही का सेवन भी नहीं करना चाहिए। दही की प्रकृति ठंडी होती है और इससे सर्दी-जुकाम के होने की संभावना बढ़ जाती है। कई बार गले में संक्रमण भी हो जाता है।
sawan ke vrat : सावन में उपवास रखना होता है बेहतर
सावन के महीने में कम खाना शरीर के लिए बेहतर होता है। इसलिए उपवास करना जहां भोले भंडारी का आशीर्वाद दिलाता है, वहीं स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाता है। वैज्ञानिक आधार पर भी उपवास को सही माना गया है क्योंकि लगभग 12 घंटे के उपवास से शरीर में ऑटोफागी प्रक्रिया शुरू हो जाती है, ये एक तरह से शरीर की सफाई होती है। इससे शरीर की बेकार कोशिकाओं को शरीर से बाहर निकलने का मौका मिलता है और नई कोशिकाओं का निर्माण होता है।
sawan mein non veg se parhez : सात्विक भोजन से शरीर बनता है निरोगी
उपवास और सात्विक भोजन से शरीर निरोगी बनता है। सावन मास में प्याज-लहसुन और मांसाहर से परहेज करना होता है। इससे शरीर भी डिटॉक्स होता है और शरीर में गंभीर बीमारियों के होने की संभावना कम हो जाती है। व्रत रखने से शरीर में ऐसे हॉर्मोन निकलते हैं, जो फैटी टिश्यूज़ को तोड़ने में मदद करते हैं, इससे वेट भी कम होता है। शॉर्ट टर्म फास्टिंग से मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है