नई दिल्ली: शबे बरात 8 अप्रैल को मनाई जाएगी। इस निस्फ शाबान या मध्य शाबान भी कहा जाता है। यह रमजान के पवित्र महीने के शुरू होने से तकरीबन 15 दिन पहले मनाई जाती है। इस्लामी कैलेंडर के मुताबिक शाबान माह की पंद्रहवी रात को शबे बरात आती है। शब-ए-बरात दो शब्दों शब और बरात से मिलकर बना है। शब का अर्थ है रात। वहीं, बरात का अर्थ बरी या मुक्ति। मुसलमानों के लिए यह रात इबादत के लिहाज से बहुतअहम होती है। ऐसे माना जाता है कि इस पवित्र रात में अगले साल के लिए सभी मनुष्यों की किस्मत तय की जाती है।
कब शुरू होगी शबे बारात?
शबे बरात को इस्लाम में इबादत के रात के तौर पर माना जाता है। यह इस्लामी कैलेंडर के आठवें महीने शाबान की 15 तारीख को आती है। शबे बरात मंगलवार को सूरज ढलते ही शुरू हो जाएगी और अगले दिन सूर्योदय तक रहेगी। दरअसल, इस्लामी कैलेंडर के अनुसार तारीख में बदलाव सूर्यास्त के बाद होता है। इस दिन मुसलमान अपने घरों में तरह-तरह के पकवान बनाते हैं। इस दिन ज्यादातर घरों में हलवे से चीजें बनाई जाती हैं जिसे इबादत के बाद गरीबों में बांट दिया जाता है।
इस रात इबादत का महत्व
इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, माना जाता है कि शबे बरात को अल्लाह अपने बंदों पर बेहद मेहरबान होता है और वो इस रात इबादत करने वालों को माफ कर देता है। इस दिन मुसलमान अल्लाह की अबादत करते हैं। वे दुआएं मांगते हैं और अपने गुनाहों की तौबा करते हैं। यही वजह है कि इसे मोक्ष की रात भी कहा जाता है। शबे बरात को को सारी रात इबादत और कुरान की तिलावत की जाती है। इस रात लोग अपने उन परिजनों के लिए भी दुआएं मांगते हैं जो दुनिया को अलविदा कह चुके है। लोग इस रात अपने करीब के कब्रिस्तानों में जियारत के लिए भी जाते हैं।