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Shiv Chalisa Hindi Lyrics: सावन में करें शिव चालीसा का जाप, देखें जय जय गिरिजा पति दीन दयाला ल‍िर‍िक्‍स हिंदी में लिखित

Updated Jul 14, 2022 | 16:42 IST

Shiv Chalisa Lyrics in Hindi, Shiv Chalisa in Hindi Written Lyrics Image: सावन मास में शिव चालीसा का जाप भी नियमित किया जाता है। श‍िव चालीसा का जाप भय और कष्‍टों से मुक्‍त‍ि दिलाने वाला माना गया है। देखें जय जय गिरिजा पति दीन दयाला ल‍िर‍िक्‍स हिंदी में।

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shiv chalisa in hindi lyrics

Shiv Chalisa Lyrics in Hindi, Shiv Chalisa in Hindi Written Lyrics: श‍िव पूजा में शिव चालीसा के जाप का भी बहुत महत्‍व माना गया है। अगर आप भोलेनाथ की पूजा करते हैं तो श‍िव चालीसा का पाठ जरूर करें। सावन का महीना भोलेनाथ की पूजा को समर्पित है, ऐसे में हिंदू कैलेंडर के पांचवें मास में शिव चालीसा का नियमित जाप आपको जरूर करना चाहिए। श‍िव चालीसा का जाप भय और कष्‍टों से मुक्‍त‍ि दिलाने वाला माना जाता है। अगर आप सावन व्रत नहीं भी करते हैं तो भी इस भोलेनाथ की चालीसा का जाप कर सकते हैं। देखें जय जय गिरिजा पति दीन दयाला ल‍िर‍िक्‍स हिंदी में। 

Shiv Chalisa in Hindi Written Lyrics

दोहा

जय गणेश गिरिजा सुवन,
मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम,
देहु अभय वरदान ॥

Shiv Mahamrityunjaya Mantra: सावन मास में करें महामृत्युंजय मंत्र का जाप

चौपाई

जय गिरिजा पति दीन दयाला । 
 सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥
 
भाल चन्द्रमा सोहत नीके । 
कानन कुण्डल नागफनी के ॥ 

अंग गौर शिर गंग बहाये । 
 मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥ 

  वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे । 
छवि को देखि नाग मन मोहे॥ 

  मैना मातु की हवे दुलारी। 
 बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥ 

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। 
करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥ 

 नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। 
 सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥ 

कार्तिक श्याम और गणराऊ। 
या छवि को कहि जात न काऊ॥ 

Shiv Ji Ki Aarti: जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा

  देवन जबहीं जाय पुकारा।
तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥ 

  किया उपद्रव तारक भारी। 
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥ 

 तुरत षडानन आप पठायउ। 
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥ 

 आप जलंधर असुर संहारा। 
सुयश तुम्हार विदित संसारा॥

  त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। 
 सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥ 

  किया तपहिं भागीरथ भारी। 
   पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥ 

दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं। 
  सेवक स्तुति करत सदाहीं॥ 

   वेद नाम महिमा तव गाई। 
अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥ 

 प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला। 
 जरत सुरासुर भए विहाला॥ 

 कीन्ही दया तहं करी सहाई। 

 नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥ 
 पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा। 

 जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥ 
  सहस कमल में हो रहे धारी।  

 कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥ 
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। 

 कमल नयन पूजन चहं सोई॥ 
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर।

 भए प्रसन्न दिए इच्छित वर॥ 
जय जय जय अनन्त अविनाशी। 

  करत कृपा सब के घटवासी॥ 
  दुष्ट सकल नित मोहि सतावै। 

  भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥ 
  त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। 

 येहि अवसर मोहि आन उबारो॥ 
   लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। 

 संकट से मोहि आन उबारो॥ 
 मात-पिता भ्राता सब होई। 

  संकट में पूछत नहिं कोई॥ 
 स्वामी एक है आस तुम्हारी। 

  आय हरहु मम संकट भारी॥ 
  धन निर्धन को देत सदा हीं। 

  जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥ 
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी। 

 क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥ 
 शंकर हो संकट के नाशन।

 मंगल कारण विघ्न विनाशन॥ 
 योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। 

  शारद नारद शीश नवावैं॥ 
 नमो नमो जय नमः शिवाय। 

 सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥ 
 जो यह पाठ करे मन लाई। 

  ता पर होत है शम्भु सहाई॥ 
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी। 

 पाठ करे सो पावन हारी॥ 
 पुत्र हीन कर इच्छा जोई। 

 निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥ 
 पण्डित त्रयोदशी को लावे। 

  ध्यान पूर्वक होम करावे॥ 
 त्रयोदशी व्रत करै हमेशा। 

  ताके तन नहीं रहै कलेशा॥ 
    धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। 

  शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥ 
  जन्म जन्म के पाप नसावे। 

   अन्त धाम शिवपुर में पावे॥ 
 कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी। 

जानि सकल दुःख हरहु हमारी ॥

दोहा

 नित्त नेम कर प्रातः ही,
  पाठ करौं चालीसा। 
 तुम मेरी मनोकामना,
  पूर्ण करो जगदीश॥ 
 मगसर छठि हेमन्त ॠतु,
  संवत चौसठ जान। 
अस्तुति चालीसा शिवहि,
  पूर्ण कीन कल्याण॥

श‍िव चालीसा का जाप कैसे करना चाहिए

श‍िव चालीसा का जाप दिन में किसी भी समय किया जा सकता है। बस इसे शुद्ध तन और मन से करना चाह‍िए। इसके अलावा ध्यान रखें कि श‍िव चालीसा को पढ़ने में कोई त्रुट‍ि नहीं होनी चाहिए। इससे शिव चालीसा के जाप का पूर्ण फल नहीं मिलता है। 

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