नई दिल्ली : सोमवार को भोलेनाथ का दिन माना गया है और कहा जाता है कि अगर उनकी पूजा सच्चे मन से की जाए तो महादेव हर बाधा को दूर करते हैं। वैसे शिव जी को मन का जितना भोला बताया गया है, उनसे जुड़े रहस्य उतने ही गूढ़ माने जाते हैं। भगवान शिव से संबंधित बहुत सारे ग्रंथ हैं जिनमें उनके जीवन चरित्र, रहन-सहन, विवाह और उनके परिवार की उत्पत्ति के बारे में बताया गया है।
लेकिन माना जाता है कि शैव मत से संबंधित शिव पुराण में भगवान शंकर के बारे में विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है। मान्यता है कि शिवपुराण को पढ़ने और सुनने से अक्षय पुण्यों की प्राप्ति होती है। हालांकि इसके संपूर्ण फल पाने के लिए कुछ नियमों का पालन करना भी जरूरी है। अनजाने में की गई गलती भी इसका पूरा फल नहीं देगी।
यहां जानें कि शिवपुराण को पढ़ने के दौरान क्या सावधानियां बरतनी चाहिए -
- कथा सुनने से पूर्व बाल, नाखून आदि काटें। तन शुद्ध करके स्वच्छ कपड़े पहनें।
- मन में भगवान शिव के प्रति श्रद्धा और आस्था रखें। किसी के प्रति द्वेष भाव न रखें।
- ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए व्रत रखें।
- भूमि पर सोना चाहिए।
- किसी की निंदा, चुगली न करें अन्यथा पुण्य समाप्त हो जाते हैं।
- सात्विक भोजन खाएं। तामसिक पदार्थों का त्याग करें।
- किसी भी तरह का नशा न करें।
- कथा पूर्ण होने पर शिव पुराण और शिव परिवार का पूजन करें।
- कथा सुनने से पहले या बाद में रोगी, विधवा, अनाथ, गौ आदि का दिल दुखाने वाला व्यक्ति पाप का भागी बनता है और उसके सत्कर्मों का नाश हो जाता है।
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वहीं अगर आप घर पर शिव पूजन कर रहे हैं तो भोले की उपासना के लिए पूजन शुरू करने से पहले तांबे का पात्र, तांबे का लोटा, दूध, अर्पित किए जाने वाले वस्त्र। चावल, अष्टगंध, दीपक, तेल, रुई, धूपबत्ती, चंदन, धतूरा, अकुआ के फूल, बिल्वपत्र, जनेऊ, फल, मिठाई, नारियल, पंचामृत, पान और दक्षिणा एकत्रित कर लें। इससे आपको पूजा के दौरान बार-बार उठना नहीं पड़ेगा और ध्यान भी नहीं टूटेगा।
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