- व्यक्ति को उसके कर्मों से मिलता है स्वर्ग और नर्क
- महाभारत के अश्वमेधादिकम् पर्व के अध्याय 106 में कृष्ण बताते हैं कैसे लोग जाते हैं स्वर्ग और नर्क
- भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताए सुखी जीवन के रहस्य
Mahabharat Katha Jeevan Mantra: महाभारत की अश्वमेधादिक पर्व में युधिष्ठिर और भगवान श्रीकृष्ण के बीच बातचीत होती है। जिसमें कृष्ण युधिष्ठिर को बताते हैं कि सुखी जीवन का क्या रहस्य है और कौन से व्यक्ति को मरने के बाद स्वर्ग या नर्क की प्राप्ति होती है। युधिष्ठिर श्रीकृष्ण से पूछते हैं कि कैसे लोग सुखी जीवन व्यतीत करते हैं और वे कौन से लोग होते हैं जो मरने के बाद मोक्ष को प्राप्त करते हैं और स्वर्ग जाते हैं और किन लोगों को नर्क भोगना पड़ता है। युधिष्ठिर के सवाल पर भगवान श्रीकृष्ण जवाब देते हुए एक श्लोक में बताते हैं।
श्रीकृष्ण कहते हैं-सुखी जीवन व्यतीत करने और स्वर्ग प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को तप और दान जैसे कुछ कार्य अवश्य करने चाहिए। पुण्य कर्म करने से व्यक्ति द्वारा किए जाने-अनजाने पाप भी नष्ट हो जाते हैं और इससे उसे नर्क नहीं जाना पड़ता।
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महाभारत के अश्वमेधादिकम् पर्व के श्लोक के अनुसार जानते हैं इस कार्यों के बारे में
- दान करना व्यक्ति का सबसे बड़ा पुण्य कर्म माना जाता है। श्रीमद्भागवत गीता में भी इस बात का जिक्र किया गया है कि जो व्यक्ति जरूरतमंदों को हमेशा दान करता है और दान का हिसाब-किताब नहीं रखता अथवा गुप्त दान करता है, उसे पुण्य कर्म की प्राप्ति होती है। ऐसे व्यक्ति के सभी पाप कर्म भी नष्ट हो जाते हैं और मरणोपरांत उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
- श्रीकृष्ण युधिष्ठिर को बताते हैं कि मनुष्य का मन चंचल होता है और वह इधर-उधर भटकता रहता है। लेकिन ऐसा मनुष्य जिसका मन बस में नहीं रहता और अत्यधिक महत्वकांक्षा वाला होता है। वह अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए कोई भी गलत कार्य कर सकता है। ऐसे व्यक्ति अपने कार्यों की वजह से नर्क भोगते हैं। जो व्यक्ति ऐसी इच्छा रखते हैं कि उसे मरणोपरांत स्वर्ग की प्राप्ति हो इसके लिए अपने मन और इच्छा को वश में रखना चाहिए।
- श्रीकृष्ण युधिष्ठिर से कहते हैं कि,सत्य बोलना भी व्यक्ति के खास गुणों में एक होता है। जो व्यक्ति जीवन भर सत्य का मार्ग अपनाता है और हमेशा सत्य बोलता है उसे जीवन में सफलता तो मिलती ही है साथ ही मरने के बाद ऐसे व्यक्ति को स्वर्ग प्राप्त होता है।
- भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि कई लोग अपने व्यस्त जीवन के कारण तप, ध्यान और पूजा-पाठ नहीं करते। ऐसे व्यक्ति से देवी-देवता भी रुष्ट हो जाते हैं और इन्हें नर्क की प्राप्ति होती है। यदि व्यक्ति स्वर्ग की इच्छा रखता है तो उसे प्रतिदिन ध्यान और तप जरूर करना चाहिए।
- गलत कार्य करने वाले और हमेशा झूठ बोलने वाले व्यक्ति पाप के भोगी बनते हैं। ऐसे व्यक्ति को नर्क में जगह मिलती है। साथ ही नर्क में उसे कई यातनाएं भी झेलनी पड़ती है।
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युधिष्ठिर को श्रीकृष्ण द्वारा बताई गई ये बातें महाभारत के अश्वमेधादिकम् पर्व के अध्याय 106 में है। यह श्लोक इस प्रकार से हैं- दानेन तपसा चैव सत्येन च दमेन च। ये धर्ममनुवर्तन्ते ते नराः स्वर्गगामिनः॥
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)