- कुंभ में डुबकी लगाने के लिए मौनी अमावस्या पर उमड़ेगी श्रद्धालुओं की भीड़।
- 11 फरवरी को हरिद्वार में स्नान के लिए बन रहा महायोग।
- जानिए क्या है मौनी अमावस्या पर कुंभ स्नान का महत्व।
कुंभ मेला शुरू हो रहा है, यह हरिद्वार में सबसे बड़े हिंदू पौराणिक त्योहारों में से एक है। इस साल, कुंभ मेला 14 जनवरी से शुरू हुआ था और हरिद्वार में अप्रैल 2021 तक जारी रहेगा। कुंभ मेले के दौरान दुनिया के विभिन्न हिस्सों से हजारों भक्त संगम - पवित्र तीन नदियों गंगा, यमुना, और सरस्वती के पवित्र संगम में डुबकी लगाते हैं। 11 फरवरी को माघ मौनी अमावस्या के मौके पर आस्था का एक बड़ा सैलाब हरिद्वार में उमड़ने जा रहा है।
अर्ध कुंभ हर छह साल में आयोजित किया जाता है, जबकि कुंभ मेला 12 साल बाद आता है। ग्रहों की चाल के कारण इस वर्ष का कुंभ मेला 11 वें वर्ष के बाद हो रहा है। कुंभ मेला दुनिया में कहीं भी सबसे बड़ा सार्वजनिक आयोजन और आस्था का सामूहिक कार्य है। कुंभ मेले में 4 शाही और 6 गंगा स्नान हो रहे हैं। इनमें से माघ मौनी अमावस्या के स्नान का बहुत महत्व माना गया है जोकि 11 फरवरी को होने जा रहा है।
क्यों है मौनी अमावस्या पर कुंभ स्नान का महत्व (Mauni Amavasya Kumbh Snan Significance)
- इस वर्ष मौनी अमावस्या का महत्व इसलिए भी अधिक है, क्योंकि इस दिन हरिद्वार कुंभ में भी पवित्र डुबकी लगाई जाएगी। इस अवसर पर ग्रहों का संयोग ऐसा बना है, जो इस दिन के महत्व को कई गुना बढ़ा रहा है।
- शास्त्रों में अमावस्या पर गुरुवार का संयोग बेहद दुर्लभ और बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन संगम, गंगा, सतयुग के तीर्थ नैमिषारण्य में देवताओं का वास रहता है, जिससे स्नान, पूजन, दान अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक फलदायी होता है। कुंभ स्नान के लिए भी यह सबसे अच्छे अवसरों में से एक है।
- ग्रहों का महायोग: मौनी अमावस्या के दिन श्रवण नक्षत्र में चंद्रमा और छह ग्रह मकर राशि में होने से महायोग बनेगा। इस योग को महोदय योग कहा जाता है। महोदय योग में कुंभ की डुबकी और पितरों का पूजन करने से शुभ फल मिलता है। मौनी अमावस्या के दिन महोदय योग में तिल का दान करने के साथ भगवान विष्णु को तिल और दीप अर्पित करना शुभकारी माना गया है। इससे पाप का नाश होता है और स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
- पौराणिक मान्यता है कि सतयुग में जो हजारों वर्ष तपस्या करने का पुण्य है, वह कलियुग में मौनी अमावस्या के दिन मौन रहने और गंगा, गोमती नदियों में स्नान करने से प्राप्त होता है। कुंभ भी इस बार स्नान के पवित्र स्थानों में से एक है।
हरिद्वार कुंभ में चार शाही स्नान के दिन:
प्रथम शाही स्नान- 11 मार्च- शिवरात्रि
द्वितीय शाही स्नान- 12 अप्रैल सोमवती अमावस्या
तृतीय शाही स्नान- 14 अप्रैल- मकर संक्रांति
चौथा शाही स्नान- 27 अप्रैल- बैसाख पूर्णिमा
बता दें कि कुम्भ मेले को 2017 में यूनेस्को द्वारा 'मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत' की सूची में अंकित किया जा चुका है। यह भी दुनिया भर में कुंभ के महत्व को दर्शाता है।