प्रभु श्रीराम की संगिनी सीता जी का वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को प्राकट्य हुआ था। 13 मई यानी सोमवार को सुहागिनों को माता जानकी का व्रत करने के साथ ही सुहाग का सामान भी जरूर दान करना चाहिए। माता जानकी की तरह संतान प्राप्ति के साथ ही भगवान श्रीराम की तरह पति पाने के लिए यह व्रत करना विशेष फलदायी होता है। माता सीता पवित्रता, शुद्धता और उर्वरता का प्रतीक तो मानी ही जाती है।
मान्यता है कि इस दिन माता का व्रत करने वाली महिलाओं के अंदर धैर्यता, सहनशीलता के साथ ही आत्मविश्वास भी बढ़ता है। सीता नवमी के दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है। कहते हैं इस दिन दिया गया दान कन्या दान और चारधाम तीर्थ के बराबर माना जाता है। पति की लंबी आयु और संतान के साथ पारिवारिक शांति के लिए भगवान श्रीराम-जानकी की पूजा जरूर करना चाहिए। तो आए जानें की सीता नवमी का महत्व क्या है।
निरोगी काया के लिए जरूर करें आज के दिन पूजा
माता सीता अपने भक्तों को धन, स्वास्थ्य, बुद्धि और समृद्धि प्रदान करती हैं। माता सीता के स्वरूप सूर्य, अग्नि और चंद्र माने जाते हैं। चंद्र कि किरणें इस दिन विशेष औषधिय गुणों के साथ धरती पर उतरती हैं और यही कारण है कि ये किरणें सीता नवमी के दिन प्राणदायनी और आरोग्यवर्धक मानी जाती हैं। इस दिन माता सीता और भगवान श्रीराम की पूजा के साथ चंद्र देव की पूजा भी जरूर करनी चाहिए।
सुहाग का सामान जरूर करें दान
सीता नवमी के दिन माता सीता की पूजा सोलह श्रृंगार के साथ करें। माता को पीले और लाला फूल के साथ लाल साड़ी जरूर चढ़ाएं। इस दिन अपने सुहाग को अजर अमर बनाने के लिए सुहाग का सामान जरूर दान करना चाहिए। साथ ही जिन्हें संतान की कामना है वह इस दिन सीता स्रोत का पाठ जरूर करें।
ऐसे करें सीता नवमी पर पूजा-पाठ
इस दिन श्रीराम-जानकी की पूजा में तिल या घी का दीपक जलाएं। इसके बाद माता का सिंदूर लगाएं और भगवान को रोली लगाएं। फिर चावल, धूप, दीप, लाल फूल चढ़ा कर चरण स्पर्श करें। इसके बाद भोग लगाकर इन दो मंत्र का जाप करें।
ॐ श्रीसीताये नमः ।।
और
'श्रीसीता-रामाय नमः।।
धर्म व अन्य विषयों की Hindi News के लिए आएं Times Now Hindi पर। हर अपडेट के लिए जुड़ें हमारे FACEBOOK पेज के साथ।