- वास्तु के नियम के अनुसार सही दिशा व सही जगह पर रखा जाएं तो घर में सुख समृद्धि आती है
- ऐसे ही वास्तु के अनुसार घर में कामधेनु गाय की मूर्ति लगाना शुभ माना जाता है
- वास्तु शास्त्र के अनुसार ऐसी मान्यता है कि घर में कामधेनु गाय की मूर्ति रखने से घर में सुख, समृद्धि और वैभव आता है
Kamdhenu Cow Benefits: जीवन में वास्तु शास्त्र का विशेष महत्व है। व्यक्ति सुख, समृद्धि पाने व वास्तु के दोषों को दूर करने के लिए वास्तु के नियमों का पालन करता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार अगर चीजों को वास्तु के नियम के अनुसार सही दिशा व सही जगह पर रखा जाएं तो घर में सुख समृद्धि के साथ सकारात्मक उर्जा का वास होता है। ऐसे ही वास्तु के अनुसार घर में कामधेनु गाय की मूर्ति लगाना शुभ माना जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार ऐसी मान्यता है कि घर में कामधेनु गाय की मूर्ति रखना रखने से घर में सुख, समृद्धि और वैभव आता है।
हिंदू धर्म में गाय का विशेष महत्व है। गाय को माता का दर्जा प्राप्त है। ऐसे में कामधेनु गाय की तस्वीर लगाना बेहद शुभ माना जाता है। हिंदू धर्म में कामधेनु गाय को सबसे पवित्र माना जाता है। आइए जानते हैं कामधेनु गाय की तस्वीर किस दिशा व किस जगह रखना चाहिए।
आर्थिक संकट से मिलता है छुटकारा
हिंदू धर्म में कामधेनु गाय को ब्रह्मांडीय गाय भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि कामधेनु गाय की कृपा जिस पर बनी रहे उस घर के सदस्य कभी भी आर्थिक संकट से नहीं जूझते हैं। वास्तु के अनुसार कामधेनु गाय में मां दुर्गा, मां लक्ष्मी और देवी सरस्वती के गुण मौजूद होते हैं। ऐसे में कामधेनु गाय की तस्वीर मंदिर के साथ-साथ घर पर लगाने से भी कई लाभ मिलता है।
इस दिशा में लगाएं
अगर आप कामधेनु गाय की मूर्ति घर पर लगाना चाहते हैं, तो घर के ईशान कोण यानी पूर्वोत्तर दिशा में ही मूर्ति को लगाएं। कहते हैं इस दिशा में देवी देवताओं का वास होता है और इसे सबसे पवित्र स्थान माना जाता है। अगर आप इसे अन्य दिशा में लगाना चाहते हैं तो घर के उत्तर पूर्व दिशा में भी लगा सकते हैं।
इस जगह पर रखें
कामधेनु गाय की मूर्ति को आप पूजा घर में स्थापित कर सकते हैं। आप चाहे तो अपने घर के मेन डोर पर इस मूर्ति को भी स्थापित कर सकते हैं। इन जगहों पर लगाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)