- सूर्य को ग्रहों का राजा माना जाता है
- पंचांग के अनुसार ग्रहों के राजा सूर्य 17 सितंबर के दिन सिंह राशि से कन्या राशि में प्रवेश करेंगे
- इसके बाद कन्या राशि से तुला राशि में अगले महीने 17 अक्टूबर को प्रवेश करेंगे
Kanya Sankranti Daan: संक्रांति यानि जब सूर्य एक राशि से अगली राशि में संक्रमण करें उसे संक्रांति कहते हैं। सूर्य हर महीने किसी न किसी राशि में प्रवेश करते हैं और वे जिस राशि में प्रवेश करते हैं उन्हें उस राशि की संक्रांति कहा जाता है। सूर्य को ग्रहों का राजा माना जाता है। पंचांग के अनुसार ग्रहों के राजा सूर्य 17 सितंबर के दिन सिंह राशि से कन्या राशि में प्रवेश करेंगे। इस दिन कन्या संक्रांति होगी। इसके बाद कन्या राशि से तुला राशि में अगले महीने 17 अक्टूबर को प्रवेश करेंगे। सूर्य हर महीने किसी न किसी राशि में प्रवेश करते हैं। इस तरह साल के 12 महीने 12 संक्रांति मनाई जाती है। इसमें सबसे खास अश्वनी माह में आने वाली संक्रांति यानी कन्या संक्रांति होती है। इस दौरान सूर्य की पूजा आराधना का विशेष महत्व है। कन्या संक्रांति के दिन दान का भी विशेष महत्व है। इस दिन दान करने से व्यक्ति के भाग्य चमक जाता है। वहीं कन्या संक्रांति के दिन कुछ चीजों का दान करना अशुभ माना जाता है।
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न करें झाड़ू का दान
हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि झाड़ू में धन की देवी मां लक्ष्मी का वास होता है। कभी भी झाड़ू का अनादर नहीं करना चाहिए। झाड़ू का अनादर से महालक्ष्मी का अनादर होता है। ऐसे में कन्या से संक्रांति के दिन झाड़ू का दान भी नहीं करना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि इससे बरकत चली जाती है और महालक्ष्मी रूठ जाती है। झाड़ू का दान दीपावली के दिन मंदिर में गुप्त दान के रूप में करना चाहिए। इसके अलावा कहीं भी झाड़ू का दान नहीं करना चाहिए।
न करें पुराने कपड़ों का दान
कन्या संक्रांति के दिन पुराने कपड़े का दान भी नहीं करना चाहिए। कुछ लोग एक साथ सारे पुराने कपड़े इकट्ठा कर के कन्या संक्रांति के दिन दान कर देते हैं, लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए। कन्या संक्रांति के दिन नए कपड़ों का ही दान करना चाहिए।
बचा हुआ तेल
शनि की दशा को दूर करने के लिए तेल का दान करना शुभ माना जाता है। सरसों के तेल का दान करने से शनि की दशा दूर होती है, लेकिन अगर आप बचे हुए तेल का दान कन्या संक्रांति के दिन करते है तो इसका प्रभाव काफी हानिकारक हो सकता है।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)