- शिव पूजा में धतूरा, भांग और अक्षत का होना जरूरी है
- गंगाजल से ही शिवजी का अभिषेक करना चाहिए
- शिवजी आक, धतूरा या कनैल के फूल चढ़ाने चाहिए
श्रावण मास का आज पहला दिन सोमवार को पड़ रहा है और ये दिन कई मायनों में महत्वपूर्ण है। भगवान शिव की पूजा में कुछ खास चीजें चढ़ाई जाती हैं, इसलिए जरूरी है कि आप पूजा सामग्री भूलने न पाएं। क्योंकि भगवान शिव का सबसे प्रिय मास सावन ही होता है और इस पूरे महीने उनकी पूजा करने से अनगिनत पुण्यलाभ मिलते हैं। पूजा करते समय यदि किसी सामग्री की भूल होती है, तो इससे मन दुखी होता है। इसलिए ऐसी भूल आपसे न हो इसके लिए यहां भगवान शिव की पूजा की सारी सामग्री का विवरण दिया जा रहा है। आप इस लिस्ट से मिलान कर छूटी हुई चीजें पहले ही खरीद सकते हैं। बता दें कि साल 2020 में 6 जुलाई से 3 अगस्त तक सावन का पवित्र महीना रहेगा।
Sawan Somwar Puja Vidhi : सर्वप्रथम यह जान लें कि सोमवार व्रत पूजा कैसे करें
सोमवार को सूर्योदय से पहले उठ जाएं और दैनिक कार्यों से निवृत होकर सफेद वस्त्र धारण करें। इसके बाद शिव पूजा और व्रत का संकल्प लें और पार्थिव शिवलिंग पर गंगा जल मिश्रित जल चढ़ाएं। मिट्टी के बने शिवलिंग को आप स्वयं बना कर अपने घर में शमी के पौधे के साथ रख दें। पूरे सावन भर इसी शिवलिंग की पूजा करें। शिवलिंग पूजा के बाद घर में सर्वप्रथ गणपति जी को पूजने के बाद भगवान शंकर व देवी पार्वती की पूजा करें।
Sawan Somwar Puja Samagri List : शिवलिंग पर इन चीजों को अर्पित करें
सावन की शिव पूजा में ये सामान रखें - बिल्व पत्र, रुद्राक्ष, भस्म, त्रिपुण्ड्रक, धतूरा, भांग, अक्षत, आक, धतूरा या कनैल का पुष्प आदि। इसके बाद सारी सामग्री चढ़ाते हुए "ॐ नमः शिवाय" का जाप करते रहें। शिवलिंग की कभी पूरी परिक्रमा न करें।
जल, गंगा जल, गाय का दूध, दही, फूल, फूल माला,कम से कम 5 या 51 बेलपत्र, शहद, शक्कर, घी, कपूर,रुइ की बत्ती, प्लेट, कपडा, यज्ञोपवीत, सूपारी, इलायची, लौंग, पान का पत्ता, सफेद चंदन, धूप, दिया, धतुरा, भांग, जल पात्र,चम्मच, नैवेद्य,मिठाई आदि जरूर ध्यान से एक दिन पहले ही एकत्र कर रख लें।
Sawan Somar Shiv Pujan Mantra : आरती के बाद जरूर पढ़ें क्षमा याचना मंत्र
आवाहनं न जानामि, न जानामि तवार्चनम, पूजाश्चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वर:"
Sawan Puja Prasad : नहीं खाना चाहिए शिवलिंग पर चढ़ा प्रसाद
शिवलिंग पर चढ़ी हुई भोग सामग्री प्रसाद रूप से ग्रहण नहीं की जाती है, क्योंकि इस प्रसाद पर गण चंड का अधिकार होता है, लेकिन यदि प्रसाद शिवलिंग के पास भूमि पर चढ़ाया गया है तो वह प्रसाद खाया जा सकता है। यह शिव जी का नैवेद्य प्रसाद होता है और इसे सम्पूर्ण परिवार में बांटना चाहिए।