- इस मंदिर का इतिहास करीब 2500 साल पुराना है
- मंदिर में 14 टॉवर और 4500 पिलर हैं
- मीनाक्षी मंदिर मां पार्वती और भगनाव शिव को समर्पित
नई दिल्ली। एक समय ऐसा भी था जब मदुरै की गलियां श्रद्धालुओं से गुलजार रहा करती थीं। भक्त गण मीनाक्षी सुंदरेश्वर मंदिर में अपने आराध्य के दर्शन के लिए एक दूसरे से आगे निकलने की जुगत लगाते थे। लेकिन कोरोना काल में मदुरै शहर खुद अपनी गलियों को घूर रहा है। आज तक के इतिहास में पहली बार चिथिराई त्योहार को निरस्त कर दिया गया।
मां पार्वती और भगवान शिव की दिव्य शादी
दरअसल इसके पीछे वजह सिर्फ यही थी कि कोरोना का खतरा और न बढ़े। इसके साथ ही इस त्योहार से संबंधित झांकियों, राज्यरोहण और दूसरे उत्सवों को भी निरस्त करने का फैसला किया गया। लेकिन दिव्य वैवाहिक कार्यक्रम को कुछ लोगों की मौजूदगी में आगे बढ़ाया गया क्योंकि परंपरा के मुताबिक इसे नहीं रोका जा सकता था। गर्भगृह से जुड़े पहले गलियारे में मां मीनाक्षी औक भगवान सुंदरेश्वर की शादी शारीरिक दूरी को बनाते हुए कराई गई।
चिथिराई त्योहार क्यों है खास
- मां मीनाक्षी का राज्यरोहण
- मां मीनाक्षी के सम्मान झांकी निकाली जाती है।
- भगवान शिव और मां पार्वती की दिव्य शादी कराई जाती है
- रथों में देवताओं को शानदार वेशभूषा में शहर में घुमाया जाता है।
- भगवान कलाझर के सम्मान में शाम को भव्य आयोजन होता है, फिर बाद में वो वैगई नदी में दाखिल होते हैं।
- इस समारोह के बाद भगवान कलाझर अपने आवास यानी मंदिर में दाखिल होते हैं।
यूं ही नहीं खास है मीनाक्षी मंदिर
मीनाक्षी टेंपल दक्षिण भारत के मंदिर स्थाप्तय में शानदार उदाहरण है। इस मंदिर का इतिहास करीब 2500 साल पुराना है। इस मंदिर में 14 टॉवर और 4500 पिलर हैं। जो चार मुख्य टॉवर हैं वो चारों दिशाओं यानि पूरब, पश्चिम , उत्तर और दक्खिन में हैं। इस मंदिर मीनाक्षी यानी देवी पार्वती और भगवान शिव की है।