Vastu defects and their harmful effects: वास्तुशास्त्र को समझना और उसके आधार पर समस्याओं की वजह जानना विज्ञान से जुड़ा होता है। हालांकि लोग इसे ज्योतिष से जुड़ा मानते हैं, लेकिन ज्योतिष भी विज्ञान पर ही आधारित होता है। देश में कई चीजें ऐसी हें जिन्हें ज्योतिष से जुड़े विशेषज्ञ दोषपूर्ण मानते हैं। वहीं कुछ वास्तु के लिहाज से बेहतर भी बताए गए हैं। वास्तु दोष में पर्वत से लेकर महासगर और मकबरे ही नहीं हिमालयी ढलान को भी वास्तु के हिसाब से सही नहीं माना गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन्हीं वास्तु दोषों के कारण देश की समस्याएं खत्म नहीं होती और एक खत्म होती है तो दूसरी खड़ी हो जाती है।
हालांकि कुछ वास्तु इन समस्याओ को बैलेंस करने वाले भी बताए गए हैं। ज्योतिष ही नहीं फेंगशुई तक में वास्तुदोष को बहुत गंभीर माना गया है। ऐसा कहा जाता हे जहां वास्तुदोष होता है वहां समस्याएं खत्म नहीं होती और बिना बात तनाव बना रहता है। भारत की सरजमी पर भी कुछ ऐसा ही होता रहा है। तनाव और समस्याएं बिना वजह ही आती रहती हैं। दुश्मनों की संख्या बढ़ती है और देश का विकास रुकने लगता है। तो आइए आज देश के उन वास्तु को जाने जो दोष पैदा करते हैं और कुछ ऐसे वास्तु जो दोष को खत्म करते हैं।
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हिमालय का सही दिशा में विस्तार नहीं
भारत के उत्तर और उत्तर पूर्व में हिमालय का विस्तार है, लेकिन ये वास्तु के लिहाज से सही नहीं। ये वास्तु के विपरीत माना जाता है और यही कारण है कि देश से गरीबी और कई समस्याओं का अंत नहीं हो पाता।
पानीदार दक्षिण देता है दुश्मनों को बढ़ावा
हिंद महासागर, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी के रूप में भारत के दक्षिण-पश्चिम और दक्षिण-पूर्व में प्रचुर मात्रा में पानी की उपस्थिति तो हैं लेकिन ये विदेशी हमलों का कारण है। यही कारण है कि लगातार गलत विदेशी गतिविधियों से देश को नुकसान होता है।
हिमालय का ढलान है बेहतर
एक चीज भारत के लिए बहुत ही अच्छी है वह है पूर्व की आरे हिमालय का ढलान । ये ढलान देश को समृद्ध बनाने वाला माना जाता है। वास्तु के लिहाज से यह बहुत ही सौभाग्यशाली माना जाता है।
उत्तर-पूर्व में पानी न होना सही नहीं
भारत के उत्तर-पूर्व में पानी नहीं है अगर ये होता तो जापान की तरह भारत भी बहुत ही सौभाग्यशाली हो सकता था। वास्तु के लिहाज से ये कमी है देश में। ऐसा होता तो देश दुनिया में एक अलग ही स्थान रखता।
मुंबई की समृद्धी का कारण भी उसका वास्तु
मुंबई एक ऐसा शहर है जिसके उत्तर-पूर्व में पर्याप्त पानी है और दक्षिण-पूर्व में परमाणु ऊर्जा संयंत्र। यही कारण है कि इससे देश भाग्यशाली बनता है। मुंबई इसी वजह से देश का एक शक्तिशाली और समृद्ध शहर बना है।
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तिरुपति बालाजी मंदिर
भारत में सबसे समृद्ध मंदिर तिरुपति बालाजी मंदिर का स्थान वास्तु के लिहाज से बहुत ही बेहतर माना गया है। इसका निर्माण वास्तु के अनुकूल माना जाता है। यही कारण है कि यहां धन और समृद्धि में इस जगह की कोई तुलना नहीं है।
भारतीय संसद
ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन आंदोलन के संस्थापक महर्षि महेश योगी ने एक बार कहा था कि भारतीय संसद का खराब वास्तु या लेआउट ही राजनैतिक दुर्दशा को हमेशा बढ़ावा देता है। इतना ही नहीं ये सरकारी प्रगति में बाधक भी है और करदाताओं के कीमती धन को नाशकरने वाला है।
खुद से समझने का करें प्रयास
महर्षि का कहना था कि जो लोग वास्तु पर विश्वास नहीं करते उन्हें खुद इसकी जांच करनी चाहिए। उनका कहना है कि यदि वे किसी भवन में दक्षिण या पश्चिम के प्रवेश द्वार से प्रवेश करते हैं या प्रवेश द्वार कुछ'झुका हुआ'हो (दक्षिण-पश्चिम या उत्तर-पूर्व की ओर) वे महसूस करेंगे की वह अशांति,भय और समस्याओं से हमेशा घिरे रहते हैं, लेकिन अगर उनका घर पूर्व की ओर मुंह करता हुआ हो तो ऐसे लोग सद्भाव,खुशी और समृद्धि के साथ रहते हैं।
वास्तु अगर खराब हो तो ध्वस्त कर देना चाहिए भवन
महर्षि का यहां तक कहना था कि अगर संगमरमर का बना एक सुंदर भवन प्रसिद्ध वास्तुकार द्वारा डिज़ाइन किया गया हो लेकिन उसका लेआउट गलत हो तो उसे ध्वस्त कर देना चाहिए। अन्यथा राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और उनके मंत्रियों का दिमाग कभी सही निर्णय नहीं लेगा और न हीं सुलझेगा । उनके सोच हमेशा उच्छृंखल और ऑफ-बैलेंस रहेगी। किसी देश के विकास और समृद्धि के लिए जरूरी है कि उस देश के राजनेता, अधिकारी और सेवक वास्तु के आधार पर बने कार्यालयों में ही काम करें।
वास्तु के महत्व को ऐसे भी समझें
ताज महल भी एक मकबरा है और चांद बीबी का भी एक मकबरा है। लेकिन ताजमहल दुनिया के सात अजूबे में शामिल हैं क्योंकि उसका वास्तु बेहतर है, लेकिन चांद बीबी का मकबरा सुंदर होते हुए भी उसे कोई नहीं जानता।