दक्षिणमुखी प्लाट हो या घर कई बार इसलिए सस्ते से सस्ते में बेच दिया जाता है क्योंकि ऐसे घरों को खरीदना शुभदायी नहीं माना जाता। मान्यता है कि ऐसे घर परिवार और परिवार की सुख-शांति और तरक्की में बाधा डालते हैं, क्योंकि दक्षिण दिशा यम की दिशा होती है। हाल ये है कि कई बार ऐसे प्लाट या घर बिक तक नहीं पाते। वास्तु के हिसाब से ऐसे घरों को लोग सही नहीं मानते, लेकिन आपको जान कर यह आश्चर्य होगा कि इसमें पूरी सच्चाई नहीं क्योंकि ऐसे घर कई मायनों में शुभदायी हो सकते हैं अगर वास्तु के अनुसार इन घरों को लिया जाए या स्थापित कर लिया जाए।
ऐसे घर कई बार पारिवारिक विकास के लिए विशेष फलदायी हो सकते हैं तब जब वास्तु का विशेष ध्यान दिया जाए। तो आइए जानें कि अगर दक्षिणमुखी घर या प्लाट ले रहे तो किन बातों या वास्तु को ध्यान में रखना जरूरी है ताकि वह फलदायी हो।
Vastu Tips: दक्षिणमुखी घर लेते वक्त रखें इन बातों का ध्यान
1-जब भी आप दक्षिणमुखी प्लाट या घर लें तो उसका मुख्य द्वार हमेशा आग्नेय कोण पर ही रखें क्योंकि इस कोण पर अगर मुख्य द्वार या गेट होता है तो ये दक्षिण के नकारात्मक प्रभाव को खत्म कर देता है। याद रखें द्वार कभी भी नैऋत्य कोण पर न हो। अगर ऐसा है तो ऐस प्लाट या घर को न लें। अगर आपने दक्षिण नैऋत्य का घर या प्लाट ले ही लिया तो आप ऐसे वास्तु दोष से बचने के लिए उसे बेच दें, क्योंकि ये किसी भी मायने में फलदायी नहीं होगा।
2-यदि अपने ऐसा घर या प्लाट लिया है जो दक्षिण मुखी है और उसका मुख्य द्वार दक्षिण नैऋत्य पर हो तो ऐसा घर स्त्री पक्ष पर भारी होता है। ऐसे घरों की स्त्रियों को शारीरिक-मानिसक कष्ट बना रहता है और धन हानि भी घर में सदा रहती है। साथ ही एक बात अवश्य ध्यान दें कि अगर ऐसे घरों में दक्षिण नैऋत्य पर द्वार भी हो और ईशान कोण में भी वास्तु दोष नजर आता है तो ये घर अनहोनियों की वजह बनता रहेगा। ऐसे घर का त्याग कर दें।
3-दक्षिण मुखी घर में अंडरवाटर सोर्स यानी फ्रेश वाटर टैंक, बोरिंग या कुआँ उत्तर दिशा, उत्तर ईशान या पूर्व दिशा के बीच होना चाहिए। साथ ही घर के बाउंड्री वाल से सटा कर सेप्टिक टैंक उत्तर या पूर्व दिशा में ही बनाएँ। ऐसा करने से दक्षिण का वास्तु दोष खत्म हो जाता है। वहीं अगर दक्षिण मुखी प्लाट या घर का सेप्टिक टैंक ईशान कोण में हो तो वह बेहद अशुभकारी होगा। हालांकि किसी भी दिशा वाले घरों में ईशान कोण पर कुछ न बनवाएं। यहां केवल देवस्थान बन सकता है।
4-दक्षिणमुखी घर या प्लाट पर जब भी घर बनवाएं घर का ईशान कोण घटा, कटा, गोल, ऊँचा या तेढ़ा-मेढ़ा नहीं होना चाहिए। साथ ही नैऋत्य कोण पर जमीन या दीवार आगे बढ़ कर भी न बनवाएं। यहां समतल हो जमीन यह ध्यान दें।
5-जब भी आप दक्षिणमुखी घर बनवाएं घर को जमीन से करीब एक से दो फुट ऊंचा कर बनवाएं। इससे दोष कम होगा। याद रखें भवन का फर्श या जमीन कहीं से भी उबड़-खाबड़ या तेढ़ा-मेढा न हो। साफ-सफाई के लिए थोड़ा ढाल देना चाहें तो उत्तर, पूर्व दिशा या ईशान कोण की ओर ही दें। वहीं प्लॉट के खुले भाग का ढाल भी उत्तर, पूर्व दिशा एवं ईशान कोण की ओर होनी चाहिए।
6-दक्षिणमुखी घर या प्लाट से अगर गंदे पानी की निकासी उत्तर या पूर्व दिशा में कभी न होने दें। बाउंड्री वॉल से सटा कर पूर्व ईशान से में नाली बनाकर पूर्व आग्नेय की ओर बहाव रखें या उत्तर ईशान से नाली बनाकर उत्तर की ओर निकालें।
7-दक्षिणमुखी प्लाट लेने से पहले यह देख लें कि सामने का खाली जगह हो। या घर ले रहे तो घर के सामने कुछ स्थान खाली हो। ऐसा वास्तुदोष को कम करता है।
8-दक्षिणमुखी घर ऊपर किसी भी पेड़ की छाया नहीं होनी चाहिए।
9-दक्षिणमुखी घर हो तो घर के मुख्य द्वार पर पंचमुखी हनुमान जी की तस्वीर लगाएं।
दक्षिण मुखी घर को लेने के समय इन महत्पवूर्ण बातों पर जरूर गौर करें। अगर घर वास्तु के अनुसार ठीक लगे तभी लें।
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