- मर्यादा पुरोषत्तम भगवान श्री राम का प्रिय पौधा था पारिजात
- पारिजात को हिंदू धर्म में काफी पवित्र माना गया है
- हरिवंश पुराण में इस वृक्ष को कल्प वृक्ष के नाम से जाना जाता है
नई दिल्ली: अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास समारोह के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र दी ने पौधा-रोपण की रस्म निभाते हुए पारिजात वृक्ष को लगाया जो भगवान श्री राम का बहुत प्रिय माना जाता है। इस पौधे के साथ-साथ इस पर आने वाले नाजुक सफेद फूल और उसकी मनमोहक खुशबू का भी हिंदू पौराणिक कथाओं में बहुत महत्व है। चलिए जानते हैं कि क्यों यह पौधा इतना महत्वपूर्ण है और क्या चीज इस पौधे को भगवान श्रीराम का प्रिय बनाती हैं।
पारिजात वृक्ष से जुड़ी पौराणिक कथाएं
जब देवता और असुर समुद्र मंथन कर रहे थे तभी समुद्र में से कई चीजें परिणाम स्वरूप बाहर निकल रही थीं, उसी में से एक पारिजात वृक्ष भी था। देवता और असुर दोनों एक साथ इस पारिजत पौधे को पाने की होड़ में लगे हुए थे, लेकिन अंत में भगवान इंद्र को यह पौधा मिला। भगवान इंद्र इसे अपने इंद्रपुरी ले गए जहां उन्होंने स्वर्गलोक के बगीचे में इसे लगा दिया। बाद में उस पौधे को अर्जुन धरती पर ले आए जो इंद्र के बेटे थे। पांडवों की मां कुंती इस पौधे के सफेद फूलों का इस्तेमाल भगवान शिव की आराधना के लिए करती थीं।
भगवान कृष्ण की पत्नी को पसंद आया था पारिजात
कुछ पौराणिक कथाओं के मुताबिक ऐसा माना जाता है कि यह पौधा कुंती के राख से उत्पन्न हुआ था। तो दूसरी ओर कुछ कथाओं में यह कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने इस पौधे की एक डाली चोरी करके अपने बगीचे में लगा ली थी। चोरी करने का कारण यह बताया जाता है कि नारद मुनि ने एक बार सत्यभामा जो भगवान कृष्ण की पत्नियों में से एक थीं, उनको पारिजात के कुछ फूल दिए। सत्यभामा फूलों की खुशबू से बहुत खुश हुईं और अपने आप को रोक नहीं पाईं। उन्होंने इस पौधे की मांग की, तब नारद मुनि ने कहा कि यह वृक्ष भगवान इंद्र के बगीचे में है लेकिन अगर वे चाहें तो भगवान कृष्ण को मना कर उन्हें यह वृक्ष लाने के लिए इंद्रपुरी भेज सकती हैं।
सत्यभामा ने नारद मुनि की बात मानकर ऐसा ही किया लेकिन नारद मुनि ने जाकर भगवान इंद्र को चेतावनी दे दी कि कोई व्यक्ति इस पेड़ को चुराने की कोशिश करेगा। भगवान कृष्ण जब उसकी डाली चोरी करके ले जा रहे थे तब इंद्र ने उन्हें देख लिया और दोनों के बीच में लड़ाई शुरू हो गई। जब इंद्र ने यह देखा कि उनका जोर श्री कृष्ण पर नहीं चल रहा है तब उन्होंने इस पेड़ को श्राप दिया कि कभी भी यह पेड़ फल नहीं देगा।
हरिवंश पुराण में इस वृक्ष को कल्प वृक्ष के नाम से जाना जाता है। इसीलिए नए जोड़े को इसकी पूजा करने के लिए कहा जाता है, ताकि उसके आशीर्वाद से दोनों के बीच अनंत प्रेम और वैवाहिक आनंद बना रहे। इस पौधे के फूल रात के समय खिलते हैं और बिना किसी बाहरी बल के जमीन पर गिर जाते हैं इसलिए यह एक ऐसा फूल है जिसे भगवान को चढ़ाया जा सकता है (भले ही वह जमीन से क्यों ना उठाए गए हों)। पारिजात के फूल रात के दौरान अपनी सुगंध फेलाते हैं इसलिए इसे 'नाइट जैसमिन' भी कहा जाता है।