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Ganapati Visarjan: क्‍यों किया जाता है गणपति विसर्जन, महाभारत से जुड़ी है दिलचस्‍प कहानी

Updated Sep 11, 2019 | 08:23 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

गणपति चतुर्थी के दिन बप्पा को घर-पंडालों में स्थापति किया जाता है, लेकिन उसके बाद उनका विसर्जन करना जरूरी होता है। ऐसा करना क्यों जरूरी है, क्या आप जानते हैं?

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तस्वीर साभार:&nbspInstagram
Ganpati Visarjan
मुख्य बातें
  • गणपति जी ने दस दिनों तक लगातार लिखी थी महाभारत
  • दस दिन लगातार काम करने से बप्पा का शरीर गर्म हो गया था
  • व्यास जी ने मिट्टी का लेप लगा कर गणपति जी को स्नान कराया था

गणेश चतुर्थी के दिन बप्पा की स्थापना कर उनकी पूजा एक, तीन, पांच या दस दिन तक की जाती है। श्रद्धानुसार लोग अपने अनुसार बप्पा का पूजा के दिन निर्धारित करते हैं, उसके बाद उनका विसर्जन जरूर करते हैं। विर्सजन भी भगवान का उतने ही धूमधाम से किया जाता है जितना की स्थापना के समय उनका स्वागत होता है। मान्यता है कि बिना विसर्जन बप्पा की पूजा पूरी नहीं मानी जाती। इसलिए विसर्जन करना जरूरी होता है लेकिन विसर्जन के पीछे एक महत्वपूर्ण वजह भी है।

ऐसे शुरू हुई उत्सव की प्रथा
गणेशोत्सव की शुरुआत आजादी से पूर्व ही शुरू हो चुकी थी। अंग्रेजो के खिलाफ देशवासियों को एकजुट करने के लिए श्री बाल गंगाधर तिलक ने गणेशोत्सव का पहली बार आयोजन किया था। धीरे-धीरे ये प्रथा बनी और हर साल पूरे देश में इस उत्सव का आयोनज होना शुरू हो गया। पूजा के बाद विसर्जन करने को लेकर कई लोगों के मन में सवाल उठता है कि आखिर गणपति जी का विसर्जन करना जरूरी क्यों होता है। आइए जानें क्या है इसके पीछे की कहानी।

भगवान हैं जल तत्व के अधिपति
भगवान गणेश जल तत्व के अधिपति माने गए हैं। मुख्य कारण तो उनके वसर्जन का यही है कि अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान गणपति की पूजा-अर्चना के बाद उन्हें वापस जल में विसर्जित कर दिया जाता है। यानी वह जिसके अधिपति है, वहीं उन्हें पहुंचा दिया जाता है, लेकिन पुराणों में उनके विसर्जन के पीछे कुछ और बातें भी हैं।

बढ़ गया था तापमान, इसलिए जल में डाला गया बप्पा को
धार्मिक पुराणों में उनके विसर्जन के पीछे मान्यता बिलकुल इतर है। पुराणों के अनुसार श्री वेद व्यास जी गणेश चतुर्थी से महाभारत कथा प्रारंभ की और गणपति जी अक्षरश: लिखते जा रहे थे। व्यास जी आंख बंद कर कथा लगातार दस दिन तक सुनाते रहे और गणपति जी लिखते ही रहे। दस दिन बाद जब व्यास जी ने कथा खत्म कर आंखें खोलीं तो पाया कि गणपति जी के लगातार काम करने से उनके शरीर का तापमान बहुत बढ गया था। व्यास जी ने गणेश जी के शरीर को ठंडक देने के लिए एक सरोवर में ले जा कर खूब डुबकी लगवाई, जिससे उनका तापमान समान्य हो गया।

इतना ही नहीं उनके तापमान को कम करने के लिए व्यास जी ने उनके शरीर पर सुगंधित सौंधी माटी का लेप भी किया था और जब वह सूख गई तो उनका शरीर अकड़ने लगा इस कारण भी उन्हें सरोवर में ले जाया गया ताकि माटी शरीर से अलग हो कर उन्हें ठंडक दे सकें। इसके बाद व्यास जी ने 10 दिनों तक गणपति जी को उनके पसंद का भोजन कराया था। इसी मान्यता के अनुसार प्रभु की पूजा के बाद उनका विसर्जन किया जाता है।

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