- दीपावली से एक दिन पहले धनतरेस मनाया जाता है
- धनतरेस के दिन खरीदारी करना काफी शुभ होता है
- धनतेरस मनाए जाने के पीछे एक प्राचीन कथा है
नई दिल्ली: दीपावली से एक या दो दिन पहले धनतेरस मनाया जाता है। दिवाली से पहले धनतेरस का बड़ा महत्व होता है। इस दिन सोने-चांदी, बर्तन या ऐसी ही कुछ अपनी पसंद की नई चीजें खरीदने की परंपरा होती है। दिवाली के दिन पूरी रात घर और हर जगहों पर दीप जलाकर रौशनी फैलाने की और अंधेरा और बुराई दूर करने की कोशिश की जाती है। इस दिन सोने-चांदी खरीदने के पीछे एक रोचक कथा है। आइए जानते हैं इस बारे में।
धनतेरस का शाब्दिक अर्थ है धन और तेरस (13) जिसका मतलब हुआ कि धन के लिए मनाया जाने वाला त्योहार जो कार्तिक महीने के 13वें दिन होता है जिसे त्रयोदशी भी कहा जाता है। पौराणिक परंपरा यह है कि इस दिन सोने और चांदी और इसके अलावे बर्तनों की खरीदारी की जाती हैं। बिजनेस या फिर कुछ भी नया शुभ काम करना हो तो इस दिन शुरुआत करना सबसे शुभ और सर्वोत्तम माना जाता है।
धनतेरस का कई मायनों में महत्व
कुछ लोगों का मानना है कि सोने और चांदी की खरीदारी ही धनतेरस का असली महत्व है। लेकिन इसका महत्व धन, सोने, चांदी और गहनों से कहीं ज्यादा है। इस दिन चारों तरफ रोशनी नजर आती हैं। हर घर पर नए-नए पकवान बनते हैं। धनतेरस के दिन देवी लक्ष्मी के साथ-साथ भगवान कुबेर की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि भगवान कुबेर धन के देवता हैं और उनकी पूजा करने से वे खुश होकर व्यक्ति को धनवान बना देते हैं।
क्या है पौराणिक कथा?
प्राचीन लोककथाओं के मुताबिक चमकते हुई ज्वैलरी,जवाहरात से आने वाली तेज रोशनी और चमकदार दीयों ने यमराज को अंधा कर दिया, जो सांप के रूप में दिखाई दिए और इस तरह वह हेमा के बेटे की जान नहीं ले सके। इस वजह से यह माना जाता है कि सोने और चांदी के आभूषण या नए बर्तन खरीदने से आप और आपके परिवार के सदस्य किसी भी बीमारी से बच सकते हैं। धनतेरस पर धातु खरीदना भी घर में भाग्य, धन और समृद्धि लाने के लिए कहा।
सोना चांदी के गहनों ने बचाई जान
राजा हिमा के 16 वर्षीय बेटे को अपनी राशि के मुताबिक पता चलता है कि उसकी शादी की चौथी रात एक सांप के काटने से उसकी मौत हो जाएगी। शादी के चौथे दिन उसकी पत्नी पूरी रात जागकर उसकी रखवाली करती रही, और उसने अपने पति को भी जगाए रखा। इस दौरान उसने अपने सारे गहने उतार कर दीए की रौशनी को जलाकर कमरे के दरवाजे के पास रख दिया था। जब यम देवता उसे लेने के लिए आए तो वहां आकर उनकी आंखें वहां की रौशनी देखकर चौंधिया गई।
रोशनी अच्छाई और बुराई अंधेरा का प्रतीक
यमराज इतनी रौशनी की वजह से घर के अंदर प्रवेश नहीं कर सके और बिना उसकी जान लिए वहां से प्रस्थान कर गए। इसके बाद राजकुमार की जान बच गई। उसी समय से बुराई को भगाने के लिए घर के दरवाजे पर दीपों की रौशनी फैलाई जाती है। मान्यता यही है कि ऐसा करने से बुराई और बुरी बलाओं का नाश होता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार यह माना जाता है कि सोना और चांदी आपको बुरे शगुन और कुछ भी नकारात्मक से बचाते हैं, यही कारण है कि विशेष रूप से धनतेरस पर इन कीमती धातुओं को खरीदना बेहद शुभ माना जाता है।