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इन पांच कारण से पूजा के दौरान ढका जाता है सिर, महिला ही नहीं पुरुष के लिए भी जरूरी

Updated Apr 18, 2022 | 07:57 IST

Cover Head During Worship: पूजा-पाठ से जुड़ी कई जरूरी नियमों में एक है सिर ढकना। जिसका पालन स्त्री और पुरुष दोनों ही करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है आखिर पूजा के दौरान सिर ढकना जरूरी क्यों होता है। बता दें कि सिर ढंकने का ना सिर्फ धार्मिक बल्कि वैज्ञानिक महत्व भी होता है।

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Importance of Covering Head
मुख्य बातें
  • चंचल मन ध्यान से भटके ना इसलिए पूजा में ढका जाता है सिर
  • पुराने समय में सिर ढकने के लिए पहनते थे मुकुट
  • नग्न सिर के साथ नहीं करनी चाहिए भगवान की पूजा

Reason Of Covering Head: सिर ढकने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। महिलाएं बड़े बुजुर्गों को सम्मान देने के लिए हमेशा साड़ी या दुपट्टा से सिर ढकती हैं। वैसे तो सिर ढकना सम्मान का सूचक होता है लेकिन पूजा पाठ के दौरान सिर ढकना न केवल महिला बल्कि पुरुषों के लिए भी जरूरी होता है।

हिंदू सहित सिख और मुस्लिम धर्म में भी धार्मिक कार्यों के दौरान सिर ढकना जरूरी होता है। लेकिन क्या आपने इस बारे में कभी सोचा है कि आखिर क्यों पूजा-पाठ में स्त्री और पुरुष दोनों के लिए सिर ढकना जरूरी होता है। आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से..

पूजा में सिर ढकने के मुख्य कारण

  • कहा जाता है कि पूजा के समय सिर ढकने से चंचल मन भटकता नहीं और पूरा ध्यान पूजा पर ही केंद्रित रहता है। इससे भक्त ईश्वर से जुड़ पाते हैं।
  • जिस तरह बड़े बुजुर्गों के सम्मान में हम सिर ढकते हैं उसी तरह भगवान को भी सम्मान देने के लिए सिर ढका जाता है। पूजा के समय सिर ढकना भगवान के प्रति आदर का प्रतीक माना जाता है।
  • सिर ढकने का एक कारण यह भी बताया जाता है कि शास्त्रों के अनुसार पूजा में काले रंग का प्रयोग वर्जित माना गया है। हमारे बाल भी काले होते हैं, इसलिए पूजा के दौरान नकारात्मकता से बचने से लिए सिर ढकना जरूरी होता है।
  • शास्त्रों में पूजा पाठ के लिए स्त्री और पुरुष सभी के लिए एक समान नियम होते हैं। इसलिए पूजा में महिलाओं के साथ ही पुरुषों को भी सिर ढकना जरूरी हो जाता है।
  • क्योंकि कई लोगों में बाल झड़ने और डेंड्रफ आदि जैसी समस्याएं होती है। ऐसे में पूजा की सामाग्रियों में बाल या डेंड्रफ गिरने से वो अशुद्ध हो जाते हैं। इसलिए भी पूजा में सिर ढकना बताया गया है।

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पूजा-पाठ मे सिर ढकने के पीछे कई तरह की कथाएं वर्णित हैं। इनमें से एक कथा के अनुसार, नायक, उपनायक और खलनायक भी सिर ढकने के लिए मुकुट पहना करते थे।

कहा जाता है कि इसके बाद से ही स्त्री और पुरुष सभी के लिए सिर ढकने की परंपरा को आवश्यक कर दिया गया। धीरे-धीरे ये परंपरा भगवान की पूजा के दौरान और बड़े-बुजुर्गों को सम्मान देने के लिए जरूरी हो गई।

(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्‍स नाउ नवभारत इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है।)

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