सुहागिन महिलाओं के लिए करवा चौथ का व्रत बेहद खास होता है। महिलाएं निर्जला व्रत रखकर सोलह श्रृंगार करके छलनी से अपने पति के चेहरे का दीदार करती हैं। करवा चौथ की पूजा के बाद महिलाएं चौथ माता की कथा सुनती हैं।
माना जाता है कि कोई भी पूजा, व्रत व अनुष्ठान बिना आरती किए पूरा नहीं होता है। आरती को ही पूजा का समापन माना जाता है। इसी तरह से करवा चौथ व्रत करने के बाद चांद को अर्घ्य देने के साथ ही चौथ माता की आरती भी की जाती है। यहां पढ़ें करवा माता की पावन आरती....
करवा चौथ आरती (Karwa chahuth aarti)
ऊँ जय करवा मइया, माता जय करवा मइया ।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया ।।
ऊँ जय करवा मइया। सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी।
यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी ।।
ऊँ जय करवा मइया।
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, जो नारी व्रत करती।
दीर्घायु पति होवे , दुख सारे हरती ।।
ऊँ जय करवा मइया। होए सुहागिन नारी, सुख सम्पत्ति पावे।
गणपति जी बड़े दयालु, विघ्न सभी नाशे।।
ऊँ जय करवा मइया। करवा मइया की आरती, व्रत कर जो गावे।
व्रत हो जाता पूरन, सब विधि सुख पावे।। ऊँ जय करवा मइया।
करवा चौथ पूजन मन्त्र
“ प्रणम्य शिरसा देवम, गौरी पुत्रम विनायकम।
भक्तावासम स्मरेनित्यम आयु: सौभाग्य वर्धनम ।।
इस प्रकार पंचोपचार पूजन एवं कथा-सुनने के बाद करवे का आदान-प्रदान कर पारिवारिक सुख-समृद्धि एवं अखण्ड सौभाग्य की प्रार्थना करनी चाहिए।