- रहस्यों से भरा हुआ है 7 का अंक, जानिए क्या है इसका महत्व।
- धार्मिक ग्रंथों और ज्योतिष में होती है विशेष रूप से चर्चा।
- केतु ग्रह से माना गया है इस अंक का सीधा संबंध।
अंकज्योतिष के अनुसार 7 अंक का रहस्य केतु से माना गया है, जो रहस्य का कारक माना जाता है। इस अंक का मनुष्य के जीवन पर सबसे अधिक प्रभाव माना गया है। सृष्टि पर भी इस अंक का विशेष महत्व है। आपको बता दे सृष्टि पर सात महासागर हैं, सात सुर हैं और इंद्रधनुष में भी सात रंग होते हैं। जिनका मनुष्य के जीवन से गहरा नाता है। इसका अर्थ है कि यह संख्या अपने आप में बिल्कुल अलग है।
धार्मिक ग्रंथों में है मान्यता:
7 नंबर को लेकर प्राचीनकाल से ही मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। इस नंबर को लेकर भारतीय संस्कृति और धर्मिक ग्रंथों में कई संबंध हैं। वहीं इसका उल्लेख वेदों और पुराणों में भी देखा जा सकता है। साथ ही कुरान में भी 7 अंक का उल्लेख अधिक मिलता है। इस अंक का ग्रीस, बाबुल और कई प्राचीन ग्रंथों से संबंध है। इसका वर्णन ऋगवेद के ग्रंथों में भी देखा गया है।
यह अभाज्य संख्या है।
यह अंक अभाज्य संख्या है जिसे स्वयं और 1 को छोड़कर किसी से विभाजित नहीं किया जा सकता है।
भाग्यांक 7 के बारे में:
अंक 7 वाले जातकों में फैसला लेने का अधिक समझ होती है। ये लोग उसी काम को करने में अपनी ऊर्जा और समय व्यस्त करते हैं। जिसमें उन्हें लगता है कि यह उनके लिए लाभकारी और हितकारी होगा। ये लोग विचारशील, सतर्क और बुद्धिमान होते हैं। ये जातक किसी भी कार्य को अच्छे से करने में निपुण होते हैं और प्रत्येक कार्य को पूरा करके ही सांस लेते हैं।
जानिए 7 अंक का रहस्य:
गणित में सात का राज्य
7 है चौथा प्राइम नंबर।
धरती पर 7 महासागर हैं।
इंद्रधनुष में 7 रंग होते हैं।
हर सप्ताह मे सात दिन होते हैं।
केवल पांच ऋषि या सप्तऋषि हैं।
हमारे सौरमंडल पर सात प्लैनेट हैं।
बाइबिल में आप सात चर्च के बारे में पढ़ेंगे।
यह माना जाता है कि भगवान को दुनिया बनाने में सात दिन लगे।
आपको बता दें 7 को लेकर हमारे धर्म ग्रंथों से लेकर वास्तविक जीवन तक विशेष महत्व है। इस अंक का धर्म ग्रंथों से लेकर प्राचीनकाल तक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं।