- यहां का प्रसाद खाना ही नहीं किसी को देना भी मना है
- मदिर में दो बजे कीर्तन में शामिल होना जरूरी होता है
- आरती के समय पीछे मुड़ कर देखना मना किया गया है
Facts about Mehandipur Balaji Temple: भगवान का प्रसाद हमेशा खाना चाहिए लेकिन बजरंग बली का एक मंदिर ऐसा है जिसका प्रसाद कभी नहीं खाना चाहिए। जी हां, ये मंदिर हनुमान जी के एक स्वरूप का है। यहां चढ़ाए जाने वाले प्रसाद को खाना ही नहीं मंदिर से बाहर ले कर जाना भी सख्त मना होता है। ये ऐसा मंदिर हैं जहां, हर दिन भक्तों का रेला लगा रहता है। माना जाता कि यहां का प्रसाद यदि कोई खा ले या अपने साथ घर ले जाए तो नकारात्मक शक्तियां उस पर हावी हो जाती हैं। हनुमान जी के इस मंदिर में लोग मुख्यत: नकारात्मक शक्तियों से छुटकारे के लिए लोग आते हैं। प्रेत आत्मओं से मुक्ति के लिए हनुमान जी के बालाजी स्वरूप की पूजा की जाती है और यहां दो तरह का प्रसाद भी चढ़ाया जाता है।
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में मिलती है नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति
मेहंदीपुर बालाजी हनुमाजी का मंदिर राजस्थान के दौसा जिले के मेहंदीपुर में स्थित है। ये मंदिर दो पहाड़ियों के बीच मौजूद है। इस मंदिर में लोग भूत प्रेत जैसी बाधाओं से मुक्ति के लिए आते हैं। मंदिर में प्रेतराज सरकार और भैरवबाबा की प्रतिमा है और हर दिन में दोपहर दो बजे से प्रेतराज सरकार के दरबार में कीर्तन शुरू हो जाता है। कीर्तन में वह लोग शामिल होते हैं जिनमें ऊपरी साए का असर होता है। यहां मंदिर में आने वालों के लिए नियम भी बनाए गए हैं। ये नियम बेहद सख्ती से पालन करने होते हैं अन्यथा इससे भक्तों के ऊपर अतिरिक्त नकारात्मक शक्तियों का असर देखने को मिलता है।
मेंहदीपुर बालाजी धाम भगवान हनुमान के 10 प्रमुख सिद्धपीठों में से एक माना गया है। मान्यता है कि यहां हनुमान जी जागृत अवस्था में विराजते हैं। यहीं कारण है कि जो लोग प्रेतआत्माओं से परेशान होते हैं वह यहां जरूर आते हैं। रात 10 बजे मंदिर बंद हो जाता है उसके बाद यहां कोई नहीं रह सकता।
जानें, क्या है मेहंदीपुर बालाजी के मंदिर के नियम
- यहां चढ़ाए गए प्रसाद को न तो घर ले जाया जा सकता है, न खाया जा सकता है और नहीं किसी को दिया जा सकता है।
- यहां कोई भी खाने वाली चीज या सुगंधित चीज को आप मंदिर में ला कर वापस घर को नहीं ले जा सकते। पूजा-पाठ की बची सामग्री को भी यहीं छोड़ देना होता है। कहा जाता है कि यदि कोई प्रसाद खा ले या अपने साथ घर ले जाए तो यहां की नकारात्मक शक्तियों का उसपर बुरा असर होता है।
- जब यहां आरती होती है तो सभी को केवल भगवान की ओर ही देखना होता है। कहा जाता है कि आरती के समय पीछे मुड़ना या किसी की आवाज सुन कर पीछे नहीं देखना चाहिए। इ
- मेहंदीपुर बालाजी के दर्शन के बाद उनकी प्रतिमा के सामने स्थित भगवान श्रीराम और माता सीता का दर्शन करना भी जरूरी होता है।
- इस मंदिर में आने से कुछ दिन पहले से ही भक्तों को प्याज, लहसुन, अण्डा, मांस, शराब का सेवन बंद कर देना होता है।
बता दें कि मंदिर में दर्शन के ये नियम कहीं लिखे नहीं गए। मौखिक रूप से लोगों को बताए जाते हैं। ये नियम सदा से ऐसे ही पालन होते आ रहे हैं।