लाइव टीवी

Lathmar Holi Barsana 2020: जानें बरसाना में इस साल कब मनाई जाएगी लठमार होली, ऐसे शुरू हुई थी परंपरा

मेधा चावला | SENIOR ASSOCIATE EDITOR
Updated Feb 28, 2020 | 15:00 IST

Lathmar Holi Barsana 2020 Date, How to celebrate : बरसाने और नंदगांव में लठमार होली को देखने दुनिया भर के लोग आते हैं। जानें कब मनाई जाएगी ये और कैसे हो सकते हैं आप शामिल

Loading ...
Lathmar Holi of Barsane : कैसे खेली जाती है लठमार होली
मुख्य बातें
  • होली बरसाने और नंदगांव के बीच में होती है 
  • होली बरसाने और वृंदावन के मंदिरों में खेली जाती है
  • बरसाने के बाद नंदगांव में होली होती है

Lathmar Holi Barsana 2020 : लठमार होली बरसाने और नंदगांव दोनों जगह होती है। बरसाने में लड्डू की होली के बाद बरसाने में लठमार होली होती है। इसके बाद अगले दिन नंदगांव में लठमार होली होगी। बरसाने में 4 मार्च को और नंदगांव में 5 मार्च को लठमार होली होगी। नंदगांव से सखा बरसाने आते हैं और बरसाने की गोपियां उन पर लाठियां बरसाती हैं। दरअसल भगवान श्रीकृष्ण नंदगांव से थे और राधा बरसाने की। श्रीकृष्ण ने जब बरसाने होली खेलने का न्योता स्वीकार किया था तो बरसाने में लड्डू की होली होती है और अगले दिन लठमार होली होती है। तो आइए जानें ये लठमार होली कैसे शुरू हुई।

बरसाना और नंदगांव की लठमार होली

इस होली की शुरुआत राधा और श्रीकृष्ण के प्यार और शरारत से हुई थी। भगवान श्रीकृष्ण और उनके सखा नंदगांव से बरसाना आते हैं और राधा रानी को अलग-अलग रंगों की बारिश कर उन्हें सांवले रंग में रंगने का प्रयास करते हैं। तब राधा अपनी सखियों के साथ कृष्ण और उनके मित्रों की लाठियों से पिटाई करती थी। ये मजेदार परंपरा आज भी चली आ रही है।

कहां-कहां खेली जाती है लठमार होली

बरसाना के अलावा ही ये होली मथुरा, वृंदावन, नंदगांव में लठमार होली खेली जाती है। बरसाने की गोपियां यानी महिलाएं सखाओं को लाठियों से पीटती हैं और सखा इनसे बचने का प्रयास करते हैं। साथ ही इस दौरान गुलाल-अबीर खूब उड़ते रहते हैं। भले ही लाठियां इसमें चलती हैं, लेकिन ये प्यार की लाठियां होती हैं। अगले दिन बरसाने वाले वृंदावन की महिलाओं के संग होली खेलने जाते हैं। ये सारी होली बरसाने और वृंदावन के मंदिरों में खेली जाती है। इस होली की खासियत ये है कि इसमें दूसरे गांव से आए सखाओं पर ही लाठिंया बरसती हैं। अपने गांव वालों पर लाठियां नहीं बरसाई जातीं। इस खेल के दौरान आसपास खड़े लोग गुलाल-अबीर उड़ाते रहते हैं। लठमार होली खेल रहे पुरुषों को होरियारे और महिलाओं को हुरियारिने कहा जाता है।

ऐसे पहुंचें मथुरा, वृंदावन और बरसाने

दिल्ली से ट्रेन या बस के जरिये मुथरा पहुंचा जा सकता है। इसके बाद आप वृंदावन के लिए ऑटो, टैक्सी या बस ले सकते हैं। ठहरने के लिए वृंदावन में ही होटल या आश्रम लेना सही होगा,क्योंकि यहां से बरसाने और नंदगाव पहुंचना आसान होगा। वृंदावन से दोनों ही स्थान एक से आधे घंटे की दूरी पर है।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | अध्यात्म (Spirituality News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल