मुख्य बातें
- महाशिवरात्रि पर काशी में शिव बारात निकलती है
- ऋषिकेश और हरिद्वार भोले बाबा को पसंद है
- भूतनाथ और बैजनाथ में पौराणिक कालीन शिवलिंग हैं
महाशिवरात्रि पर भोले बाबा को प्रसन्न करने के लिए केवल देवालयों में पूजा करने और भजन-कीर्तन ही नहीं हुआ करते, बल्कि इस दिन कुछ खास तरह के आयोजन होते हैं। कुछ शहर ऐसे हैं जहां भोले बाबा का ये खास दिन पूरे दिन खास उत्साह और हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन भोले बाबा की बारात निकलती है और साथ में होती है अड़भंगियों, भूत-पिशाच बने भक्तों की टोली। ऐसे ही कई आयोजन कई स्थानों पर होते हैं। ये जगहें भोले बाबा के लिए खास महत्व रखती है। कोई शिव की नगरी है तो कोई शिव की प्रिय स्थली। यही कारण है कि इन जगहों पर महाशिवरात्रि खास होती है और यहां शिवरात्रि मनाना अपने आप में बहुत खास अनुभव देता है।
इन छ जगहों पर होती है सबसे खास महाशिवरात्रि
1. शिव की नगरी काशी
शिव की नगरी काशी कही जाती है और कहा जाता है कि काशी शिवजी के त्रिशूल पर ही टिकी है। यही कारण है कि यहां शिव भगवान से जुड़े हर उत्सव, पर्व और त्योहार बहुत ही श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाए जाते हैं। काशी विश्वनाथ के दर्शन करने के लिए यहां महाशिवरात्रि के एक रात पहले ही लाइनें लग जाती है। कई किलोमीटर लंबी लाइन केवल सुबह ही नहीं अगले दिन भोर तक रहती है। यहां शिव भगवान की बारात निकलती है और ये बारात बेहद अनोखी होती है। इस दिन घाटों किनारे, हर देवालयों में रात्रि जागरण के साथ भजन-कीर्तन का दौर भी चलता है। बाबा की बूटी बसे बनी ठंडाई इस दिन खास प्रसाद मानी जाती है।
2. भोले बाबा को प्रिय है हरिद्वार
सप्त पुरिया यानी सात पवित्र शहरों में माना गया है। भगवान शिव को हरिद्वार बेहद पसंद हैं और गंगा किनारे बसा ये शहर शिव की आराधना का विशेष स्थान माना गया है। सावन हो या महाशिवरात्रि दोनों में ही बहुत खास तरीके से मनाई जाती है। यहां हर धार्मिक कार्य बेहद ही उत्साह भरे माहौल में मनाए जाते हैं। हरिद्वार की हर की पौड़ी और गंगा आरती और ऋषिकेश में नीलकंठ महादेव की खास पूजा यहां देखने लायक होती है।
3. टपकेश्वर महादेव मंदिर, देहरादून
टपकेश्वर महादेव प्राचीन मंदिरों में शामिल है। देहरादून स्थित ये मंदिर महाभारत काल के समय से पहले पूजनीय रहा है। माना जाता है कि शूलटपकेश्वर महादेव के इस गुफानुमा प्राकृतिक मंदिर में आज भी अश्वस्थामा भोर की पूजा सबसे पहले करता है। पौराणिक काल के इस मंदिर में महाशिवरात्रि बेहद ही खास होती है। मान्यता है कि अश्वत्थामा ने भगवान शिव की तपस्या की थी और इस तपस्या से प्रसन्न हो कर शिवजी ने गुफा की छत से दूध की धारा बहा दी और ये दूध की धारा स्वयं शिवलिंग पर टपकने लगी थी। आज भी यहां शिवलिंग पर जल अपने आप पहाड़ों से टपकता है।
4. नीलकंठ महादेव मंदिर, ऋषिकेष
उत्तराखंड के ऋषिकेष के में स्थित नीलकंठ महादेव के मंदिर का दर्शन करना महाशिवरात्रि पर बहुत ही पुण्यकारी माना गया है। शिव की धरती ऋषिकेश का ये मंदिर पौराणिक काल का है। भगवान शिव ने समुद्र मंथन में निकला विष धारण करने के बाद इसी जगह पर आ कर विश्राम किया था और उनका गला नीला पड़ चुका था। यही कारण है कि नीलकंठ के नाम से इस मंदिर को जाना जाता है। महाशिवरात्रि पर नीलकंठ का दर्शन करना संकटों को हरने वाला होता है।
5. भूतनाथ मंदिर, मंडी
हिमाचल प्रदेश के मंडी स्थित भगवान शिव को समर्पित बाबा भूतनाथ का मंदिर में स्थित शिवलिंग जमीन के अंदर पाया गया था। इस मंदिर में शिवलिंग का दर्शन करना महाशिवरात्रि पर बेहद खास होता है। पौराणिक कथा के अनुसार इस स्थान पर गाय के आते ही अपने आप उसका दूध बह कर जमीन के अंदर बनें शिवलिंग पर चला जाता था। 15वीं शताब्दी में राजा अजबनेर को जब ये पता चला तो उन्होंने इस जगह खुदाइ्र कराई तो वहां शिवलिंग पाया गया। तब राजा ने यहां मंदिर का निमार्ण कराया।
6. बैजनाथ मंदिर, हिमाचल प्रदेश
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में बैजनाथ महादेव का मंदिर 13वीं शताब्दी का है और इस मंदिर में शिवलिंग त्रेतायुग का माना जाता है। मान्यता है कि रावण ने शिवजी से प्रार्थना की और उन्हें लंका ले जाना चाहता था। शिवजी ने रावण से कहा कि वह चलने का तैयार है, लेकिन उसे उन्हें जमीन पर नहीं रखना होगा, लेकिन रास्ते में रावण को लघुशंका आ गई और उसने शिवजी को साधु के हाथ में दे दिया और वह साधु नारद मुनि थे। नारदजी ने शिवलिंग को वहीं जमीन पर रख दिया और तब से शिवलिंग यहां से कभी नहीं कोई हिला सका। यहां महाशिवरात्रि के दिन खास पूजा और उत्सव बनाया जाता है।