- इस साल दिवाली 04 नवंबर को मनाई जा रही है।
- जानें दिवाली पर किस तेल के दीये जलाना माना जाता है शुभ।
दिवाली हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार है जिसकी तैयारी लोग कई दिन पहले से शुरू कर देते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार यह हर साल कार्तिक अमावस्या की तिथि को मनाया जाता है। दीपावली के दिन लोग घर के हर कोने में दीये जलाकर मां लक्ष्मी का स्वागत करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन दीयों को जलाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला तेल भी बहुत महत्व रखता है?
माना जाता है कि दिवाली के मौके पर दीये जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और शांति व समृद्धि घर में आती है। ऐसे में यह ध्यान देना बहुत जरूरी है कि इस मौके पर हम किस तेल का इस्तेमाल कर दीया जला रहे हैं। जानें दिवाली पर किन 5 तेलों का इस्तेमाल कर जलाए जा सकते हैं दीये।
देसी घी
गाय के घी को सबसे शुद्ध माना जाता है। गाय के घी से दीपक जलाने से आसपास के वातावरण में सभी सकारात्मक उत्पन्न होती है। माना जाता है कि दिवाली पर देसी घी का दीया जलाने से दरिद्रता भी समाप्त होगी और घर में धन व स्वास्थ्य सुख बना रहेगा। साथ ही मां लक्ष्मी की कृपा भी परिवार पर होगी।
तिल का तेल
तिल का तेल इस्तेमाल कर दीपक जलाना भी शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इसका इस्तेमाल कर दीपक जलाने से सभी दोष समाप्त हो जाते हैं और बुराईयां दूर जाती हैं। तिल का तेल दीर्घकालिक समस्याओं को दूर करने में मदद करता है और जीवन की बाधाओं को भी दूर करता है।
पंचदीपम तेल
दिवाली के शुभ मौके पर पंच दीपा तेल या पंचदीपम तेल का इस्तेमाल कर दीये जलाने चाहिए। मान्यता है कि पंच दीपम तेल से दीपक जलाने से आपके घर में सुख, स्वास्थ्य, धन, प्रसिद्धि और समृद्धि आती है। पंच दीपम तेल सही और शुद्ध अनुपात में 5 तेलों का मिश्रण है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आपकी प्रार्थनाओं की पवित्रता और पवित्रता सुरक्षित रहे।
सरसों का तेल
दीपक जलाने के लिए सरसों का तेल सबसे लोकप्रिय विकल्प है। दीया जलाने के लिए सरसों के तेल का प्रयोग करने से शनि से संबंधित दोष दूर होते हैं और रोगों से भी बचाव होता है।
नारियल का तेल
भारत में नारियल तेल काफी लोकप्रिय विकल्प है। मान्यता है कि पूजा के दीयों में इसका प्रयोग करने से गणेश जी प्रसन्न होते हैं। इसलिए दीवाली के मौके पर नारियल तेल के दीये भी जलाए जा सकते हैं।
बता दें कि आज यानी 04 नवंबर को दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहर्त शाम 6 बजकर 10 मिनट से रात 8 बजकर 6 मिनट तक है।
(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)