- गाय, काला कुत्ता,चीटियों और कौए को खाना खिलाएं
- ब्राह्मण को कच्चा भोजन दान में देना पिंडदान समान है
- काले तिल को बहती नदी में डालकर पितरों को अर्घ्य दें
कई कारणों से कई बार श्राद्ध या पिंडदान का कार्य लोग नहीं कर पाते। ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष में हमारे पूर्वज मोक्ष और शांति की चाह में धरती पर आते हैं, लेकिन जब उनके परिजन उनका श्राद्ध या पिंडदान नहीं करते तो वह दुखी हो कर मतृलोक लौट जाते हैं। उनके इस दुख और श्राप से बचने के लिए आपको उनका श्राद्ध जरूर करना चाहिए।
यदि किसी कारणवश आप उनका श्राद्ध नहीं कर पा रहे तो कुछ ऐसे काम पितृपक्ष में रोज करें जो पिंडदान के बराबर माने गए हैं। दान-पुण्य करने के साथ कुछ काम श्राद्ध पक्ष में करना पिंडदान के तुल्य माना गया है। तो आइए जाने कि क्या कुछ करना चाहिए पितरों के तपर्ण के लिए।
इन कार्यों को पूरे पितृपक्ष जरूर करते रहें, श्राद्ध समान होते हैं ये कर्म
- श्राद्ध पक्ष शुरू होने के साथ ही प्रतिदिन खीर जरूर बनाएं और इसे गरीब या ब्राह्मण को खिलाएं। ऐसे करने से पितरों को शांति मिलती है।
- गाय के गोबर के उपले को रोज घर में जलाया करें। इन उपलों पर खीर से तीन बार आहूति देनी चाहिए। इसके बाद जल से भरा गिलास रखें और अगले दिन ये जल किसी वृक्ष में डाल दें। ये पिंडदान के समान कर्म माना गया है।
- जब भी घर में कुछ बनाएं उसमें से पहले गाय, काले कुत्ते, कौए और चीटिंयों के लिए जरूर निकाल दें। इसके बाद ब्राह्मण को कच्चा या पक्का भोजन कराएं।
- श्राद्ध में ब्राह्मण को भोजन न करा सकें तो उसे आटा, फल, गुड़, शक्कर, सब्जी और दक्षिणा जरूर दान में दें।
- किसी नदी में काले तिल डालकर तर्पण करें। इससे भी पितृ दोष में कम होता है।
- सूर्यदेव को अर्घ्य देने के बाद पितरों को भी जल देकर प्रणाम करें,इससे भी वे प्रसन्न होंगे।
- श्राद्ध पक्ष में रोज पीपल पर जल चढ़ाने का काम करें। पितरों की आत्मा को शांति मिलेगी।
जिस काम को भी आप शुरू करें, उसे ही पूरे पितृपक्ष के दौरान करते रहें। किसी एक उपाय को ही दोहराना चाहिए।