- इस साल यह 13 अक्टूबर को पड़ रही है
- चंद्रमा जिस अंक पर होता है, उसी से राशि का निर्धारण भी होता है
- जन्मकुंडली में लग्न चक्र के अलावा चंद्र कुंडली भी होती है
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन चांद अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होकर रात में किरणें बिखेर कर के अमृत की वर्षा करता है। इस दौरान चांदनी रात में खुले आसमान के नीचे रखी गयी खीर अमृत के समान हो जाती है। इसमें चांद की शीतलता और किरणों के कई तत्व मिले होते हैं। सुबह इस खीर को खाने से व्यक्ति का संपूर्ण स्वास्थ ठीक रहता है। यही कारण है कि हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा की रात का बहुत अधिक महत्व है।
इस साल यह 13 अक्टूबर को पड़ रही है। चंद्रमा जिस अंक पर होता है, उसी से राशि का निर्धारण भी होता है। जन्मकुंडली में लग्न चक्र के अलावा चंद्र कुंडली भी होती है। ज्योतिष में माना जाता है कि पंचम और नवम भाव में चंद्रमा लग्न बहुत अच्छा परिणाम देता है। यदि यह केंद्र में गुरु के साथ है तो गजकेसरी नाम का राजयोग बनाता है। आइये जातने हैं कि यदि आपकी कुंडली में चंद्र से जुड़ा कोई दोष है तो उसे राशि अनुसार कैसे दूर किया जा सकता है। यहां जानें इससे जुड़ी जानकारी के बारे में...
चंद्र दोष से पीड़ित लोग अपनी राशि अनुसार करें ये सटीक उपाय
- मेष : शहद से भगवान शिव का रुद्राभिषेक कराएं।
- वृष : भगवान शिव का इत्र और गंगाजल से जलाभिषेक करें।
- मिथुन : श्री विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करें। कुशोदक से भगवान शिव का रुद्राभिषेक करें।
- कर्क : इस राशि का स्वामी ही चंद्रमा है। चंद्रमा के बीज मंत्र का जप करें।
- सिंह : श्री आदित्यहृदयस्तोत्र का पाठ करें। शहद और गंगा जल शिवलिंग पर चढ़ाएं।
- कन्या : श्री विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करें। दही और गंगा जल भगवान शिव को अर्पित करें।
- तुला : ठाकुर श्री विष्णु जी को तुलसी का पत्ता अर्पित करें। श्री सूक्त का पाठ करें।
- वृश्चिक : मोती की माला धारण करें। भगवान शिव का गन्ने के रस से अभिषेक कराएं।
- धनु : श्री राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करें।
- मकर : चांदी का चंद्रमा शिवलिंग पर अर्पित करें। सुन्दरकाण्ड का पाठ करें।
- कुंभ : चंद्रमा के बीज मंत्र के साथ साथ शनि के मंत्र का भी जप करें।
- मीन : फलों के रस से भगवान शिव का रुद्राभिषेक कराएं। भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए श्री विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करें।
शरद पूर्णिमा की रात मां लक्ष्मी का आह्वान किया जाता है। माना जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात माता लक्ष्मी का जन्मदिन होता है औ मां रात्रि में भ्रमण करती हैं और जो लोग पूरी रात जगे रहते हैं उन्हें माता की विशेष कृपा प्राप्त होती है।