- शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 29 सितंबर पर से हो चुकी है
- नवरात्रि खत्म होने से पहले घर के मेन गेट पर मां लक्ष्मी के पैर के चिन्ह लगाना बेहद शुभ होता हैं
- घर के दरवाजे पर सुंदर और कलरफुल तोरण बांधें
शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 29 सितंबर पर से हो चुकी है। पहले दिन मां के शैलपुत्री की पूजा होती है और इसी दिन घटस्थापना भी होती है। यह व्रत पूरे 9 दिन का होता है जिसमें पूरी श्रद्धा के साथ मां का विधिवत पूजन किया जाता है। मां अंबे दोषो से मुक्त कर अपने भक्तों को फल देने वाली मानी जाती हैं। नवरात्रि में पूरे नौ दिन उपवास रखने से तन ही नहीं मन की भी शुद्धि होता है।
मां भगवती को प्रसन्न करने और उनसे कृपा पाने के लिये भक्त अलग अलग तरह के वास्तु टिप्स आजमाते हैं। नवरात्रि में देशी गाय के घी से अखंड ज्योति जलाने से भी मां भगवती को बहुत खुशी मिलती है जिसकी वजह से सभी कार्य संपन्न होते हैं। नवरात्रि के दिनों में मां भगवती आपकी सारी मुरादें पूरी करें इसके लिये जरूर आजमाएं ये सटीक वास्तु टिप्स...
नवरात्रि में आजमाएं ये वास्तु टिप्स-
- नवरात्रि खत्म होने से पहले घर के मेन गेट पर मां लक्ष्मी के पैर के चिन्ह लगाना बेहद शुभ होता हैं। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि पैर की दिशा अंदर की तरफ होनी चाहिए।
- घर या दुकान के मेन गेट के ऊपर देवी लक्ष्मी की ऐसी तस्वीर लगाएं, जिसमें मां कमल के फूल पर विराजित हो। ऐसा करने से घर-परिवार को कई शुभ फल मिलते हैं।
- घर दुकान के दरवाजे पर चांदी का स्वास्तिक लगाना शुभ फलदायक माना जाता हैं। वास्तु के अनुसार, इससे घर में बीमारी नहीं आती। ऐसा ना कर पाने पर लाल कुमकुम से भी स्वास्तिक बना सकते हैं।
- नवरात्रि में घर या दुकान के मेन गेट के पास किसी बर्तन में पानी भरकर उसमें फूल डाल दें। इसे गेट की पूर्व या उत्तर दिशा में रखें। इससे घर के मुखिया को कई फायदे होंगे।
- घर के दरवाजे पर सुंदर और कलरफुल तोरण बांधें। अगर तोरण आम, पीपल या अशोक के पत्तों से बनी हो तो और भी अच्छा होगा। इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा नहीं आती।
- घर या दुकान के मेन गेट पर ॐ का चिन्ह बनाएं या शुभ लाभ लिखें। ध्यान रखे ये चिन्ह दरवाजे के पूर्व या उत्तर दिशा की ओर ही बनाएं। इससे कोई बीमारी ज्यादा दिन तक नहीं टिक पाती।
फलदायक है दुर्गा सप्तशती का पाठ
दुर्गा सप्तशती में 700 श्लोक हैं जो संस्कृत में हैं। इनका उच्चारण बिल्कुल ध्यान से करना चाहिए। श्रीवेद व्यास के मार्कण्डेय पुराण में दुर्गा सप्तशती का अध्याय है। दुर्गा सप्तशती के 3 भाग में महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती नाम से 3 चरित्र हैं। प्रथम चरित्र में केवल पहला अध्याय, मध्यम चरित्र में दूसरा, तीसरा और चौथा अध्याय और बाकी सभी अध्याय उत्तम चरित्र में रखे गये हैं। प्रथम चरित्र में महाकाली का बीजाक्षर रूप ऊँ 'एं है। मध्यम चरित्र (महालक्ष्मी) का बीजाक्षर रूप 'हृी' और तीसरे उत्तम चरित्र महासरस्वती का बीजाक्षर रूप 'क्लीं' है।