- बच्चों के लिए हवादार कमरे का करें चयन
- सोते समय बच्चे का सिर दक्षिण और पश्चिम दिशा में रखें
- सन फ्लावर की पेंटिंग विशेष रूप से पिट्यूटरी ग्रंथि को सक्रिय करती है
नई दिल्ली: इस धरा पर सबसे सुखद अनुभव है माता-पिता बनना, किंतु यही सुखद अनुभव अभिभावकों को उनके नन्हें मेहमान के सुखी जीवन, शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर योजना बनाने पर व्याकुल कर देता है। उस आनेवाली खुशी के आगमन से पहले आप अपनी तरफ से निश्चिंत हो जाना चाहते हैं कि उसे तनिक भी दिक्कत नहीं हो। उसके आने से पहले घर के पूरे माहौल को आप सकारात्मक उर्जा से भर दीजिए। उसके नन्हें कदम जब इस घर में पड़ें, तो उसके लिए आप और आपका सपनों का आशियाना पूरी तरह से तैयार रहे। कहीं कोई कमी न रह जाए। एक-एक कमी को दूर करने और न्यू बॉर्न बेबी के लिए इन 8 वास्तु टिप्स से सजाएं घर ताकि आपका मुन्ना रहे स्वस्थ और मस्त।
रोशन हो रूम
अपने दिल के टुकड़े के लिए जब भी आप कमरे का चयन करें, तो इस बात का ध्यान दें कि कमरे में भरपूर सूर्य की रोशनी आती हो। वास्तु के अनुसार वाही कमरा अच्छा होता है, जहां सूरज की किरणों का बसेरा होता है। बहुत सारी सकारात्मक ऊर्जा की शुरुआत करने के अलावा, सुबह की सूरज की किरणें बच्चे के कमरे के अधिकांश कीटाणुओं को मार देती हैं।
उत्तर-पूर्व दिशा में हो बेड
आपके मुन्ने को अच्छी नींद आने के साथ-साथ ये भी जरूरी है कि उसकी सुभ भी अच्छी हो। इसके लिए बहुत आवश्यक है कि जब भी बेड लगाएं उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में ही लगाएं।
2-3 फीट की दूरी पर हो पालना
पालना दीवार से 2 से 3 फीट की दूरी पर होना चाहिए और इसे कमरे के ठीक दक्षिण-पश्चिम में रखा जाना चाहिए।
दक्षिण या पश्चिम दिशा में हो सिर
वास्तु के अनुसार बच्चे का बेड कुछ इस तरह से सेट करें कि सोते समय बच्चे का सिर दक्षिण या पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए।
संतुलन का रखें ख्याल
घर के उत्तर पश्चिम क्षेत्र में उचित संतुलन जो वायु तत्व से जुड़ा है, शिशुओं में श्वसन संबंधी समस्याओं को रोकने में मदद करता है। कोशिश करें कि बच्चों को इस दिशा में अधिक से अधिक समय रखें।
अपने नन्हें मेहमान के कमरे में सेंधा नमक रखें. इससे कमरे के भीतर की नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाएगी। घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होगा, जो आपके बच्चे के लिए वरदान साबित होगा। ध्यान रखें कि नमक को प्रतिदिन बदलें।
ऐसा हो कमरे का रंग
वास्तु में रंगों के चयन पर भी विशेष ध्यान दिया गया है। अपने दिल के टुकड़े के कमरे को पेंट करवाने से पहले रंगों के चयन को लेकर लापरवाही बिल्कुल न बरतें। गहरे और भारी रंग के चुनाव के बदले हल्का और जिवंत रंग होना चाहिए।
मानसिक विकास भी है आवश्यक
बच्चों में मानसिक विकास होना भी बहुत आवश्यक है। इसके लिए आप बच्चे के कमरे में अध्यात्म, शांति और प्रेणना दायक पेंटिंग लगाएं। इससे बच्चे के मानसिक विकास में सहायता मिलती है। वैसे सन फ्लावर की पेंटिंग विशेष रूप से पिट्यूटरी ग्रंथि को सक्रिय करती है जिससे मानसिक विकास में मदद मिलती है।
ममता की छाया
वास्तुशास्त्र के माध्यम से माता-पिता अपने बच्चों के समग्र विकास में एक अतिरिक्त सहायता प्रदान कर सकते हैं। यह केवल तभी प्रदान किया जा सकता है जब माता-पिता के बीच सामंजस्य और समन्वय अपने सर्वश्रेष्ठ स्तर पर हो।