- अक्षय नवमी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को पड़ती है
- अक्षय नवमी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा का विधान है
- इस दिन भगवान विष्णु की भी पूजा अर्चना की जाती है
इस वर्ष अक्षय नवमी 5 नवंबर दिन मंगलवार को पड़ रही है। यह दिवाली से 8 दिन बाद पड़ती है। हिंदू धर्म में इसका बेहद खास महत्व है। अक्षय नवमी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को पड़ती है जिसे आंवला नवमी के नाम से भी जाना जाता है। अक्षय नवमी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा का विधान है। इस दिन भगवान विष्णु की भी पूजा अर्चना की जाती है।
शास्त्रों के अनुसार, अक्षय नवमी के दिन स्नान, पूजा, तर्पण तथा अन्नादि के दान से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। अक्षय नवमी को धात्री नवमी और कुष्मांड नवमी नवमी के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यतानुसार, अक्षय नवमी का वही महत्व है जो वैशाख मास की तृतीया यानी अक्षय तृतीया का है। शास्त्रों के अनुसार अक्षय नवमी के दिन किया गया पुण्य कभी समाप्त नहीं होता। माना जाता है कि अक्षय नवमी के दिन द्वापर युग की शुरुआत हुई थी।
अक्षय नवमी पर पूजा विधि
- आंवला नवमी के दिन महिलाएं स्नान आदि कर आंवले के पेड़ के पास जाएं।
- पेड़ के आस पास साफ-सफाई करके उसकी जड़ में शुद्ध जल अर्पित करें।
- पेड़ की जड़ में कच्चा दूध डालें।
- पेड़ की पूजा कर उसके तने पर कच्चा सूत या मौली लपेटें। ऐसा करते वक्त आठ बार परिक्रमा करें।
- परिक्रमा करने के बाद अपने और अपने परिवार की सुख समृद्धि की कामना करें।
- उसके बाद पेड़ के नीचे बैठ कर परिवार सहित भोजन करें।
अक्षय नवमी का महत्व
अक्षय नवमी को आंवला नवमी भी कहते हैं। इस दिन श्री कृष्ण ने कंस का वध कर धर्म की स्थापना की थी। अक्षय नवमी पर आंवले का सेवन करने से अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होता है। ऐसा इसलिये क्योंकि आंवले को अमरता का फल माना जाता है।