- यह ग्रहण 10-11 जनवरी की रात के बीच होगा
- चंद्र ग्रहण रात 10.37 बजे से शुरू हो कर रात 2.42 बजे पर समाप्त होगा
- ग्रहण के दौरान कहा जाता है पूजा नहीं करनी चाहिए
साल 2020 में कुल 4 चंद्र ग्रहण लगेंगे जिसमें से पहला चंद्र ग्रहण 10 जनवरी को लगने जा रहा है। यह ग्रहण 10-11 जनवरी की रात के बीच होगा, जो कि लगभग सभी भारतीय शहरों में पूरी तरह से दिखाई देगा। चंद्र ग्रहण रात 10.37 बजे से शुरू हो कर रात 2.42 बजे पर समाप्त होगा। ग्रहण की अवधि 4 घंटे से अधिक रहेगी। विश्व में इस ग्रहण को यूरोप, एशिया, अफ्रीका व आस्ट्रेलिया महाद्वीपों में भी देखा जा सकता है। इस दौरान, चंद्रमा की सतह का 90% भाग आंशिक रूप से पृथ्वी द्वारा कवर किया जाएगा, जिसमें केवल छाया का बाहरी भाग दिखाई देगा।
चंद्र ग्रहण का अर्थ होता है चंद्रमा का पृथ्वी की ओट में आ जाना। ऐसी स्थिति में सूर्य एक तरफ, चंद्रमा दूसरी तरफ और पृथ्वी बीच में होती है। यानी जब चंद्रमा धरती की छाया से निकलता है तो चंद्र ग्रहण पड़ता है।
कहां-कहां देखा जा सकेगा चंद्रग्रहण-
भारत के अलावा ये ग्रहण यूरोप, एशिया, अफ्रीका और आस्ट्रेलिया महाद्वीपों में भी देखा जा सकेगा। गौरतलब है कि इस बार चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्रमा मिथुन राशि में विराजमान रहेगा।
अगला चंद्र ग्रहण कब और कहां दिखाई देगा ?
- 5 जून, 2020: यह एक पूर्ण ग्रहण होगा और दक्षिण अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका के अधिकांश एशिया और ऑस्ट्रेलिया के लोग इसे लाइव देख पाएंगे।
- 5 जुलाई, 2020: इस दिन लगने वाला चंद्र ग्रहण अधिकांश उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, पश्चिमी यूरोप और अफ्रीका से दिखाई देगा।
- 30 नवंबर, 2020: यह ग्रहण उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, उत्तरी यूरोप, पूर्वी एशिया और ऑस्ट्रेलिया से दिखाई देगा।
दुष्प्रभाव से बचने के लिए करें ये उपाय
ग्रहण के दौरान कहा जाता है पूजा नहीं करनी चाहिए। गर्भवती महिलाओं को इस दौरान सावधानी बरतनी चाहिए। इस दौरान शिव-चालीसा का पाठ करें। ग्रहण खत्म होने के बाद गंगा स्नान करे। चंद्र ग्रहण के बाद गंगा जल से घर का शुद्धिकरण किया जाता है। कहा जाता है ग्रहण के बाद गरीबों को खाना खिलाना चाहिए और जरूरतमंद लोगों को दान करना चाहिए।
चंद्र ग्रहण के दौरान शिव चालीसा, हनुमान चालीसा, शनि का जाप करे। ग्रहण के दौरान भोजन न तो बनाएं, न ही ग्रहण करें। इस दौरान जल भी ग्रहण नहीं करना चाहिए। बहुत आवश्यक हो तो गंगा जल और तुलसी डालकर ही जल ग्रहण करें।