- छठ पूजा की शुरूआत नहाय खाय के साथ होती है
- छठ पूजा को भगवान सूर्य की आराधना का पर्व कहा जाता है
- महिलाएं निर्जला उपवास रखकर पूरे विधि विधान से छठ माता की पूजा करती हैं
हिंदू धर्म में हर साल आस्था और विश्वास का महापर्व छठ हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। छठ पूजा की शुरूआत नहाय खाय के साथ होती है और अंतिम दिन उदयाचल सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत समाप्त किया जाता है। छठ पूजा को भगवान सूर्य की आराधना का पर्व कहा जाता है। महिलाएं निर्जला उपवास रखकर पूरे विधि विधान से छठ माता की पूजा करती हैं और संतान की सुख समृद्धि के लिए कामना करती हैं।
मान्यताओं के अनुसार छठ पूजा के सभी नियमों का सही तरीके से पालन करने से व्रत सार्थक होता है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यह व्रत करने से जीवन में धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है और व्यक्ति निरोगी रहता है। माना जाता है कि छठ पूजा के व्रत को समाप्त करने के लिए भी कुछ नियम होते हैं, जिनका पालन करना बहुत जरूरी होता है। आइये जानते हैं छठ व्रत के समापन का नियम क्या है।
छठ पूजा का व्रत खोलने के नियम
- कई दिनों तक लगातार व्रत रखने के कारण शरीर में कमजोरी और सुस्ती आ जाती है। इसलिए छठ पूजा का व्रत खोलने के बाद नींबू और पानी पीना चाहिए। इससे शरीर को ऊर्जा मिलती है और कमजोरी नहीं महसूस होती है।
- छठ का व्रत खोलने के बाद साधारण भोजन करना चाहिए और तुरंत बहुत तला भूना और मसालेदार भोजर करने से बचना चाहिए। इससे आपको पेट संबंधी कई समस्याएं हो सकती हैं।
- व्रत का समापन करने के बाद हर व्यक्ति को छठ पूजा का प्रसाद वितरित करना चाहिए और गरीब एवं ब्राह्मणों को भोजन कराने के साथ दान दक्षिणा देना चाहिए।
- छठ पूजा के समापन के बाद भी साफ सफाई बरतनी चाहिए और सात्विक भोजन करना चाहिए।
- छठ पूजा का प्रसाद स्वयं बनाएं और अगर आप व्रत नहीं हैं तो छठ पूजा का व्रत रखने वाली महिलाओं की सेवा और मदद करें।
- छठ पूजा के दौरान सूर्य को दोनों अर्घ्य देना जरूरी होता है। अर्घ्य देकर सूर्य देव से सुखमय जीवन और संतान की सुख समृद्धि की कामना करें।
- छठ पूजा का व्रत रखने वाले लोगों का चरण छूकर आशीर्वाद ग्रहण करें।
इस तरह छठ पूजा के बाद सभी नियमों का पालन जरूर करें। पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ छठ माता की पूजा करने और व्रत के नियमों का पालन करने से माता प्रसन्न होती हैं और कृपा बरसाती हैं।