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First Teej Vrat after marriage : शादी के बाद कैसे रखें हरतालिका तीज का पहला व्रत, जान लें पूजा के सभी नियम

Updated Aug 19, 2020 | 09:00 IST

Haritalika Teej 2020: यदि शादी के बाद ये आपकी पहली हरतालिका तीज है तो आपको पूजा से जुड़े सभी नियम, विधि और पूजन सामग्रियों के बारे में जान लेना चाहिए।

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First Haratalika Teej after marriage, शादी के बाद पहली हरतालिका तीज
मुख्य बातें
  • हरितालिका तीज व्रत पूजा प्रदोष काल में करना चाहिए
  • सास के लिए सिंधारा जरूर तैयार करें और इसमें दक्षिणा जरूर रखें
  • मिट्टी से गौरी-शंकर के साथ गणपति जी को भी जरूर बनाएं

21 अगस्त यानी भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरतालिका तीज व्रत रखा जाना है। सर्वप्रथम आपको यह जानना होगा कि इस दिन भगवान गौरी-शंकर की पूजा होती है और गौरी-शंकर को आपको शुद्ध मिट्टी से बनाना होगा। साथ ही इस पूजा को हस्त नशत्र में किया जाता है। इसलिए समय का ध्यान देना जरूरी होगा। अखंड सौभाग्य के लिए किए जाने वाले इस व्रत में आपको सुहाग से जुड़ी सारी चीजों को पूजा में रखना होगा और सोलह श्रृंगार कर के ही आपको ये पूजा करनी होगी। घर में तीज व्रत पूजा कैसे की जाए और इसके क्या नियम हैं, आइए जानें।

ऐसे करें सिंधारा तैयार

हरतालिका तीज पर सास या अपने से बड़ी सुहागिन महिला के लिए आपको सिंधारा बनाना होगा। सिंधारा हरतालिका तीज का सबसे महत्वपूर्ण विधान है। इस सिंधारा में आप सुहाग की सारी सामग्री रखें और साथ में दक्षिणा, बिछिया या नाक की कील और नई साड़ी रखें। ये सिंधारा पूजा के समय आप देवी के समक्ष रखें। पूजा के बाद इसे सास को भेंट करें और पांव छू कर आशीर्वाद लें।

हरतालिका तीज की पूजन सामग्री

गौरी-शंकर के निर्माण के लिए गीली काली मिट्टी या बालू। इसके अलावा बेलपत्र, शमी पत्र, केले का पत्ता, धतूरे का फल एवं फूल, आंक का फूल, तुलसी, मंजरी, जनऊ, नाड़ा, फल एवं फूल-पत्ते और मिठाइयां। इसके अलावा श्रीफल, कलश, अबीर, चन्दन, घी-तेल, कपूर, कुमकुम, दीपक, पंचामृत के लिए- घी, दही, शक्कर, दूध, शहद।

ये है देवी पार्वती के लिए सुहाग सामग्री की लिस्ट

मेहंदी, चूड़ी, बिछिया, काजल, बिंदी, कुमकुम, सिंदूर, कंघी, महावर, मेहंदी, साड़ी आदि। यही चीजें आप सास के सिंधारा के लिए भी रखेंगी।

ऐसे करें हरतालिका तीज व्रत की पूजा

सुबह स्नान करने के बाद देवी गौरी और शंकर जी के समक्ष सर्वप्रथम 'उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये' मंत्र का जाप कर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद तीज की मुख्य पूजा शाम को करें। हरतालिका तीज पूजन प्रदोष काल में ही करना चाहिए। यानी गोधिली बेला में।  शाम को फिर से स्नान करें और नए वस्त्र पहनें। इसके बाद माता पार्वती और शिव की मिट्टी से प्रतिमा बनाकर पूजा करें। याद रखें इसमें गणेश जी की प्रतिमा भी जरूर बनाएं। इसके बाद देवी को सुहाग का समान अर्पित करें। फिर शिवजी को वस्त्र प्रदान करें। पूजा खत्म होने पर धोती तथा अंगोछा चढाएं।

इसके बाद वहीं बैठकर हरतालिका व्रत कथा सुनें। कथा के बाद सर्वप्रथम गणेशजी की आरती करें और उसके बाद शिवजी और फिर माता पार्वती की आरती करें। तीज के गीत गाएं। हो सके तो रात में जागरण करें और अगले दिन सुबह देवी पार्वती को सिंदूर चढ़ाने के बाद पारण करें। पारण ककड़ी या हलवे का भोग लगे प्रसाद से करें।

तीज पर आपके आस-पास जितने भी बड़े-बुजुर्गों हों, उनका पैर छूकर आशीर्वाद लें।

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