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Lohri 2020 date: जानें किस दिन मनाई जाएगी लोहड़ी, क्या है इसका महत्व और इसके पीछे मनाने की कहानी

Updated Jan 07, 2020 | 14:51 IST |

Importance Of Lohri: लोहड़ी पर्व फसल की बुआई और कटाई से जुड़ा है। इस वर्ष यह त्‍यौहार 13 जनवरी 2020 को मनाया जाएगा। 

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तस्वीर साभार:&nbspPTI
lohri 2020
मुख्य बातें
  • मकर संक्रांति से एक द‍िन पहले लोहड़ी का त्‍यौहार मनाया जाता है
  • इस वर्ष यह पर्व 13 जनवरी को मनाया जाएगा
  • लोहड़ी की रात लोग अपने घरों के सामने अग्नि जलाते हैं और उसमें तिल, गुड़, गजक, रेवड़ी और मूंगफली डालते हैं

मकर संक्रांति से एक द‍िन पहले लोहड़ी का त्‍यौहार मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व 13 जनवरी को मनाया जाएगा। यह पंजाब का पारंपरिक जो कि हरियाणा, दिल्ली, जम्मू काश्मीर और हिमांचल में धूम धाम तथा हर्षोलाससे मनाया जाता हैं। इस दिन के लिये काफी दिनों से तैयारियां होना शुरू हो जाती है। पंजाब में यह त्योहार नए साल की शुरुआत में फसलों की कटाई के उपलक्ष्य के तौर पर मनाते हैं। लोहड़ी के अवसर पर जगह-जगह अलाव जलाकर उसके आसपास भांगड़ा-गिद्धा क‍िया जाता है। 

कैसे मनाया जाता है लोहड़ी का पर्व 
लोहड़ी की रात लोग अपने घरों के सामने अग्नि जलाते हैं और उसमें तिल, गुड़, गजक, रेवड़ी और मूंगफली डालते हैं। वहीं इसके बाद सभी लोग अग्नि के गोल-गोल चक्कर लगाते हुए सुंदरिए-मुंदरिए हो, ओ आ गई लोहड़ी वे, जैसे पारंपरिक गीत गाते हुए ढोल-नगाड़ों के साथ नाचते-गाते इस पावन पर्व को उल्लास के साथ मनाते हैं।

क्‍या है पौराणिक कथा 
लोहड़ी से जुड़े कई रीति-रिवाज होते हैं। जिसमें से एक कथा प्रजापति की पुत्री सती के योगाग्नि-दहन की याद से जुड़ी हुई है। उन्‍ही के याद में इस दिन अग्नि जलाई जाती है। इस अवसर पर विवाहिता पुत्रियों को मां के घर से 'त्योहार' (वस्त्र, मिठाई, रेवड़ी, फलादि) भेजा जाता है। यज्ञ के समय अपने जामाता शिव का भाग न निकालने का दक्ष प्रजापति का प्रायश्चित्त ही इसमें दिखाई पड़ता है। उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में 'खिचड़वार' और दक्षिण भारत के 'पोंगल' पर भी-जो 'लोहड़ी' के समीप ही मनाए जाते हैं-बेटियों को भेंट जाती है।

कौन था दुल्ला भट्टी ?
लोहड़ी को दुल्ला भट्टी की एक कहानी से भी जोड़ा जाता है। दुल्ला भट्टी मुगल शासक अकबर के समय में पंजाब में रहता था। दुल्ला भट्टी एक विद्रोही था, जिसके पुरखे भट्टी राजपूत माने जाते हैं। उस समय लड़कियों को गुलामी के लिए अमीर लोगों को बेच जाता था। दुल्ला भट्टी ने एक योजना के तहत लड़कियों को न केवल छुड़ाया बल्कि उनकी शादी की सारी व्यवस्था भी करवाई। 

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