- कलयुग में इंसान मोह माया, लालच, भय, छल, कपट और भय से घिरा हुआ है
- नया साल शुरू होने वाला है तो क्यों ना हम इस नए साल में श्रीमद् भगवत गीता के उपदेशों को अपने जीवन में उतार लें
- श्रीमद भगवत गीता में सेहत को प्राथमिकता दी गयी है, अर्थात् सेहत है तो सबकुछ है
हिंदू धर्म में श्रीमद् भगवत गीता का बहुत महत्व है। भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए गीता के उपदेशों को लोग आज भी अपने जीवन में उतारते हैं और कामयाबी के पथ पर आगे बढ़ते हैं। सिर्फ बड़े बुजुर्ग ही हमें गीता का पाठ नहीं सिखाते बल्कि कई विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में भी छात्रों को गीता के उपदेशों की शिक्षा दी जाती है। गीता के सभी वचन भगवान कृष्ण के मुख से निकले थे जो आज भी संसार में लोकप्रिय हैं।
त्रेतायुग में कौरवों और पांडवों के बीच चल रहे युद्ध के दौरान जब अर्जुन मोह माया से घिर गए और अपनों से युद्ध करने की हिम्मत नहीं जुड़ा पा रहे थे तब भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश देकर मोह माया के बंधन से बाहर निकाला था। भगवान कृष्ण कौरवों और पांडवों के युद्ध में अर्जुन के सारथी बने और गीता के उपदेशों को सुनकर ही अर्जुन युद्ध के लिए तैयार हुए और अंततः पांडवों की जीत हुई।
कलयुग में इंसान मोह माया, लालच, भय, छल, कपट और भय से घिरा हुआ है। ऐसे में गीता के उपदेशों को अपने जीवन का मूलमंत्र बना लेने से व्यक्ति के मन में सकारात्मक विचार आते हैं। गीता के उपदेशों का स्मरण करने से उसे जीवन जीने और कर्तव्य मार्ग पर आगे बढ़ने का हौसला मिलता है जिससे वह अपनी नौकरी या व्यवसाय में सिर्फ तरक्की ही नहीं करता बल्कि जीवन में भी सफलता उसके कदम चूमती है।
नया साल शुरू होने वाला है तो क्यों ना हम इस नए साल में श्रीमद् भगवत गीता के उपदेशों को अपने जीवन में उतार लें और अपने जीवन को खुशियों से भर लें। तो आइये जानते हैं गीता के कुछ मुख्य मूलमंत्र।
सेहत से बड़ा कुछ भी नहीं
भगवत गीता में सेहत को प्राथमिकता दी गयी है, अर्थात् सेहत है तो सबकुछ है। अच्छी सेहत के लिए मनुष्य को नियमित समय पर संतुलित आहार लेना चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ आत्मा का वास होता है। मनुष्य स्वस्थ रहेगा तभी वह नियमित भगवान की भक्ति, उपासना, साधना, दैनिक एवं सामाजिक कार्य कर पाएगा। अच्छी सेहत ही सफलता की ओर अग्रसर करती है। इसलिए नए साल में आप भी सेहत को पहली प्राथमिकता दें और संतुलित आहार लेने की आदत डालकर चुस्त दुरुस्त बनें और प्रगति करें।
जैसा खाए अन्न वैसा होए मन
कहा जाता है कि व्यक्ति जैसा भोजन करता है, उसका मन भी वैसा ही होता है फिर वह वैसे ही सोचता है और वैसे ही काम करता है। गीता में भोजन को बहुत महत्व दिया गया है। भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि जीवन में सफल बनने के लिए मनुष्य को सदैव सात्विक और पोषक तत्वों से युक्त एवं पौष्टिक भोजन करना चाहिए। सात्विक आहार का मन पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। जिससे नकारात्मक ऊर्जा बाहर निकलती है और व्यक्ति का हृदय निर्मल होता है।
समय से बढ़कर कुछ नहीं
समय बहुत मूल्यवान होता है। अगर मनुष्य ने समय की कीमत समझ ली तो उसे जीवन में सफलता प्राप्त करने में कोई अड़चन नहीं आएगी। गीता में कहा गया है कि जिसने समय के महत्व को जान लिया उसने अपने जीवन के पहले पड़ाव को पार कर लिया। समय पर काम करने की आदत व्यक्ति को न सिर्फ सफल बनाती है बल्कि वह अपने जीवन में हमेशा उन्नति ही करता है।
इसलिए नए साल में आप भी श्रीमद् भगवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण के दिए गए उपदेशों को अपने जीवन में उतारें। अच्छे और संतुलित आहार के साथ संयमित जीवन जिएं। खुशियां और कामयाबी आपके कदमों में होंगी।