- पितृ पक्ष के इस पूरे पखवारे में मातृ नवमी का बहुत महत्व है
- नवमी तिथि को माता एवं विवाहित महिलाओं का श्राद्ध किया जाता है
- पितृ पक्ष की मातृ नवमी के दिन घर की पुत्र वधूओं को उपवास रखना चाहिए
पितरों का श्राद्ध करने का पखवारा पितृपक्ष 12 सितंबर से प्रारंभ है। इस पूरे पखवारे भर लोग विभिन्न स्थानों पर नदी किनारे अपने पितरों को जल तर्पण करते हैं और उन्हें श्राद्ध देते हैं। 28 सितंबर को पितृविसर्जन है और इसी के साथ श्राद्ध पक्ष समाप्त हो जाएगा। हिंदू धर्म में यह पूरा पखवारा बहुत ही विशेष होता है।
पितृ पक्ष के इस पूरे पखवारे में मातृ नवमी का बहुत महत्व है। यह आश्विन मास में कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को पड़ती है। माना जाता है कि नवमी तिथि को माता एवं विवाहित महिलाओं का श्राद्ध किया जाता है। जिन विवाहित महिलाओं की मृत्यु नवमी तिथि को हुई होती है, मातृ नवमी के दिन उन्हें विभिन्न प्रकार का भोजन दिया जाता है और पूरे विधि विधान से श्राद्ध किया जाता है। इस वर्ष श्राद्ध पक्ष की मातृ नवमी 23 सितंबर को है। आइये जानें पितृपक्ष का मातृ नवमी क्यों है खास और इस दिन क्या करना चाहिए।
मिलता है पितरों का आशीर्वाद
श्राद्ध पक्ष में मातृ नवमी के दिन परिवार की उन सभी महिलाओं का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु हो चुकी है। इस दिन हर पुरुष अपनी मृत माता को याद करता है और उन्हें तर्पण करता है इसलिए इसे मातृ नवमी कहा जाता है। माना जाता है कि इस दिन मृत महिला को वह सारे भोग खिलाना चाहिए, जो उन्हें पसंद रहा हो। इससे श्राद्ध करने वाले पुरुष को बहुत आशीर्वाद मिलता है और जीवन की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
नहीं होती धन की कमी
पितृ पक्ष की मातृ नवमी के दिन घर की पुत्र वधूओं को उपवास रखना चाहिए और एक साथ मिलकर मृतात्मा की शांति के लिए श्राद्ध करना चाहिए। इसे सौभाग्यवती श्राद्ध कहा जाता है। पूरे विधि विधान से यह श्राद्ध करने से घर में धन संपत्ति की कमी नहीं होती है और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
मातृ शक्तियां होती हैं प्रसन्न
मातृ नवमी के दिन प्रातःकाल स्नान करने के बाद अपने घर के दक्षिण दिशा में जमीन पर हरा कपड़ा बिछाएं और इसके ऊपर घर के सभी पितरों की फोटो रखें। पितरों के चित्र के आगे एक सुपारी रखें और तिल के तेल का दीपक जलाएं। इसके बाद गरीबों एवं जरुरतमंदों को दान दें और ब्राह्मणों को भोजन कराएं। ऐसा करने से मातृशक्तियां खुश होती हैं और सुखी जीवन के लिए आशीर्वाद देती हैं।
गीता का पाठ करना फलदायी
मातृ नवमी के दिन परिवार की मृत माताओं के चित्र पर तुलसी की पत्तियां अर्पित करें और आटे का दीया जलाएं। इसके बाद गीता के नवें अध्याय का पाठ करें। ऐसा करना बहुत शुभ और फलदायी होता है।
पितरों की आत्मा को मिलती है शांति
मातृ नवमी के दिन श्राद्ध करने के लिए कुटुप मुहूर्त और रोहिणी मुहूर्त शुभ माना जाता है। इस मुहूर्त के बीच पितरों का श्राद्ध करना चाहिए और जल में मिश्री डालकर तर्पण करना चाहिए। इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
इस तरह पूरी श्रद्धा और विधि विधान से पितरों का श्राद्ध करें और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें।