- रवि प्रदोष का संबंध सीधा सूर्य से माना गया है
- रवि प्रदोष सुख, शांति और लंबी आयु प्रदान करने वाला होता है
- प्रदोष व्रत करने से मनुष्य के सांसारिक कष्ट दूर होते हैं
प्रदोष व्रत प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष में और दूसरी बार कृष्ण पक्ष में त्रयोदशी के दिन आता है। उस दिन प्रदोष काल के पूजा मुहूर्त का विशेष महत्व होता है। नए साल में प्रदोष व्रत की शुरुआत रवि प्रदोष से हो रही है। रवि प्रदोष जीवन में सुख, शांति और लंबी आयु प्रदान करने वाला माना गया है।। प्रदोष व्रत के दिन देवों के देव महादेव की सपरिवार विधि-विधान से पूजा की जाती है। प्रदोष व्रत करने से मनुष्य के विवाह, संतान और सांसारिक कष्ट दूर होते हैं। प्रदोष व्रत में पूजा मुहूर्त का विशेष महत्व होता है, क्योंकि यह पूजा प्रदोष काल में ही करनी होती है। साल का पहला प्रदोष रविवार के दिन पड़ने से इसका महत्व और बढ़ गया है। तो आइए आपको रवि प्रदोष व्रत का मुर्हूत और महत्व के साथ विशेष पुण्यलाभ के बारे में बताएं।
जानें, पौष मास में रवि प्रदोष का महत्व
रवि प्रदोष का संबंध सीधा सूर्य से होता है और सूर्य यदि कुंडली में तेज हो तो मनुष्य को यश-कीर्ति, आयु, बेहतर स्वास्थ्य और सफलता की प्राप्ति होती है। पौष मास सूर्य की आराधना का होता है और ऐसे में रवि प्रदोष का पड़ना दोगुना पुण्य लाभ देने वाला होगा। भगवान शिव के साथ सूर्यदेव की पूजा मनुष्य के जीवन के हर कष्ट को हर लेती है। सूर्य ग्रहों के राजा माने गए हैं और रवि प्रदोष रखने से सूर्य संबंधी सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं। रवि प्रदोष का व्रत करने से महादेव के साथ सूर्यदेव का भी आशीर्वाद मिलता है।
प्रदोष व्रत का मुहूर्त
जनवरी के पहले प्रदोष व्रत की पौष मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 10 जनवरी दिन रविवार को शाम 04 बजकर 52 मिनट पर प्रारंभ हो रही है, जो 11 जनवरी दिन सोमवार को दोपहर 02 बजकर 32 मिनट तक है। 11 जनवरी को प्रदोष काल प्राप्त नहीं हो रहा है, ऐसे में नववर्ष 2021 का पहला प्रदोष व्रत 10 जनवरी को ही रखा जाएगा।
प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त
10 जनवरी को प्रदोष पूजा के लिए शाम को 02 घंटे 43 मिनट का समय प्राप्त हो रहा है। यदि आप प्रदोष व्रत हैं तो आपको 10 जनवरी को शाम 05 बजकर 42 मिनट से रात 08 बजकर 25 मिनट के मध्य भगवान शिव की पूजा कर लेनी चाहिए। यह प्रदोष पूजा के लिए उत्तम समय है।
प्रदोष व्रत पर जरूर करें शिव परिवार की पूजा
प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव तथा माता पार्वती की विधि विधान से पूजा होता है। इस दिन शिव परिवार की आराधना जरूर करने चाहिए, तभी पूजा पूर्ण मानी जाती है। साथ ही इस दिन शिव चालीसा, शिव पुराण और शिव मंत्रों का जाप अवश्य करना चाहिए। भगवान शिव की कृपा से व्यक्ति के सभी पाप और कष्ट मिट जाते हैं। सुखी और आरोग्य जीवन प्राप्त होता है
इस वर्ष 2021 में कुल 24 प्रदोष व्रत पड़ने वाले हैं, जिसमें 4 शनि प्रदोष, 5 भौम प्रदोष और 03 सोम प्रदोष व्रत होंगे। शनि प्रदोष व्रत संतान प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। प्रदोष व्रत सुख, समृद्धि, शांति को प्रदान करने वाला होता है।