जैन समुदाय में रोहिणी व्रत का बहुत महत्व है। यह व्रत हर महीने पूरी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए पूरे विधि विधान से रोहिणी व्रत करती हैं। रोहिणी व्रत रोहिणी नक्षत्र में ही किया जाता है और इस दिन भगवान वासुपूज्य की पूजा की जाती है। एक बार रोहिणी व्रत की शुरूआत करने पर 3, 5 या 7 सालों तक इस व्रत को रखने के बाद ही इसका उद्यापन किया जाता है। वर्ष 2019 में नवंबर महीने में रोहिणी व्रत 14 नवंबर यानि आज पड़ रहा है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जिस दिन सूर्योदय के बाद रोहिणी नक्षत्र पड़ता है, उस दिन यह व्रत किया जाता है। रोहिणी नक्षत्र समाप्त होने पर मार्गशीर्ष नक्षत्र में इस व्रत का पारण किया जाता है। मान्यता के अनुसार जो भी व्यक्ति श्रद्धापूर्वक रोहिणी व्रत करता है उसे सभी दुखों से छुटकारा मिल जाता है और घर में कभी दरिद्रता नहीं आती है। महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए रोहिणी व्रत करती हैं। इसके अलावा यह व्रत रखने से आर्थिक स्थिति भी मजबूत होती है।
रोहिणी व्रत का महत्व
यह जैन धर्म से जुड़ा हुआ पर्व है और जैन समुदाय की महिलाएं अपने पति के लिए पूरे विधि विधान से यह व्रत रखती हैं। इस दिन रोहिणी देवी की पूजा और आराधना की जाती है और पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना की जाती है। महिलाओं के अलावा पुरुष भी रोहिणी व्रत रखते हैं और देवी की उपासना करते हैं। इस दिन जैन धर्म के सभी लोग मिलकर भगवान वासुपूज्य की आराधना करते हैं।
यह व्रत करने से घर में धन धान्य और सुख समृद्धि आती है और व्यक्ति का जीवन सुखमय होता है। इसके अलावा इस दिन व्रत रखकर पूजा करने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है।
रोहिणी व्रत पूजा विधि
- इस दिन प्रातःकाल उठकर स्नान करना चाहिए और नए वस्त्र धारण करना चाहिए।
- इसके बाद पूजा घर में पंचरत्न से निर्मित भगवान वासुपूज्य की प्रतिमा स्थापित करना चाहिए।
- भगवान वासुपूज्य की विधि विधान से पूजा करने के बाद वस्त्र और फल फूल चढ़ाना चाहिए और नैवेध्य का भोग लगाना चाहिए।
- रोहिणी व्रत के दिन गरीबों को अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान दक्षिणा देना चाहिए।
इस प्रकार रोहिणी व्रत पूरे विधि विधान से करना फलदायी होता है और व्यक्ति को सभी सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिल जाती है।